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भारत में बढ़ेगा जीसीसी सेक्टर का दबदबा, 2030 तक आकार 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) क्षेत्र का आकार साल 2030 तक 105 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि सरकार की नीतियों, मजबूत प्रतिभा और उच्च-स्तरीय अनुसंधान एवं विकास (आर&डी) कार्यों के विस्तार के चलते हो रही है।
 
भारत में बढ़ेगा जीसीसी सेक्टर का दबदबा, 2030 तक आकार 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) क्षेत्र का आकार साल 2030 तक 105 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि सरकार की नीतियों, मजबूत प्रतिभा और उच्च-स्तरीय अनुसंधान एवं विकास (आर&डी) कार्यों के विस्तार के चलते हो रही है।

देश में इस समय 1,700 से अधिक जीसीसी हैं, जिन्होंने वित्त वर्ष 2024 में 64.6 अरब डॉलर कमाए। ये केंद्र 19 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं। वित्त वर्ष 2019 में यह आय 40.4 अरब डॉलर थी और तब से यह सालाना लगभग 9.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। केंद्रों की संख्या 2030 तक बढ़कर 2,400 तक पहुंच सकती है, और इनमें 28 लाख से अधिक लोग काम कर सकते हैं। इससे भारत को ग्लोबल कंपनियों के लिए एक पसंदीदा स्थान के रूप में और मजबूती मिलेगी।

जीसीसी वे केंद्र होते हैं जिन्हें कंपनियां अपने मुख्य संगठन के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए विदेशों में स्थापित करती हैं। ये केंद्र मुख्य रूप से बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई, मुंबई और एनसीआर में स्थित हैं। अब ये सिर्फ सपोर्ट सेवाएं नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग आरएंडडी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और सेमीकंडक्टर जैसे उन्नत क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़े जीसीसी की बढ़ोतरी बाकी केंद्रों की तुलना में 1.3 गुना तेज है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वैश्विक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग (एसटीईएम) वर्कफोर्स का लगभग 28 प्रतिशत और वैश्विक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्रतिभा का 23 प्रतिशत योगदान देता है। वहीं वैश्विक भूमिकाएं 6,500 से बढ़कर 2030 तक 30,000 से अधिक हो सकती हैं।

भारत का जीसीसी हब बनने का सफर बुनियादी ढांचे, नवाचार, प्रतिभा विकास और सहायक नीतियों के समावेश से संभव हुआ है। स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और फ्यूचर स्किल्स प्राइम जैसे कार्यक्रम देश के युवाओं को नई डिजिटल तकनीक से लैस कर रहे हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया है कि जीसीसी अब सिर्फ बैंक-ऑफिस नहीं हैं, बल्कि इन सब से आगे बढ़कर एयरोस्पेस, रक्षा और उन्नत विनिर्माण जैसे बड़े क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, “जीसीसी अब कंपनी के सपोर्ट सेंटर से आगे बढ़कर स्ट्रैटेजिक सेंटर बन रहे हैं। यह बदलाव बहुत तेजी से हो रहा है।”

-आईएएनएस

दुर्गेश बहादुर/एबीएस