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कांग्रेस ने वीआईपी कल्चर को संस्थागत रूप दिया: सीएम हिमंता बिस्वा सरमा

गुवाहाटी, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस पर वीआईपी कल्चर, बिजली की बर्बादी और विशेषाधिकार की राजनीति को संस्थागत रूप देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस रवैये के कारण ही राज्य में बिजली की भारी कमी और आर्थिक संकट पैदा हुआ।
 
कांग्रेस ने वीआईपी कल्चर को संस्थागत रूप दिया: सीएम हिमंता बिस्वा सरमा

गुवाहाटी, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस पर वीआईपी कल्चर, बिजली की बर्बादी और विशेषाधिकार की राजनीति को संस्थागत रूप देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस रवैये के कारण ही राज्य में बिजली की भारी कमी और आर्थिक संकट पैदा हुआ।

मुख्यमंत्री सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि उनकी सरकार ने वीआईपी विशेषाधिकारों को समाप्त करने और शासन में, विशेष रूप से बिजली क्षेत्र में, जवाबदेही लाने के लिए एक निर्णायक अभियान शुरू किया है।

सीएम ने जोर देते हुए कहा कि अब मंत्रियों के बिजली बिलों का भुगतान नहीं होगा, बिजली की बर्बादी बंद होगी, बिजली की कमी में भारी कमी आएगी, और हम एक हरित भविष्य की ओर स्पष्ट कदम बढ़ाएंगे।

सरमा ने पूर्व कांग्रेस शासन और वर्तमान भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के बीच अंतर बताते हुए आरोप लगाया कि असम पहले 'विशेषाधिकारों की सरकार' के रूप में कार्य करता था, जहां मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी करदाताओं के पैसे पर मुफ्त बिजली का आनंद लेते थे।

उनके अनुसार उस दौरान अधिकांश सरकारी कार्यालयों में मीटर भी नहीं लगे थे, जिसके परिणामस्वरूप अनियंत्रित खपत और कोई जवाबदेही नहीं थी।

उन्होंने बताया कि पिछली व्यवस्था के तहत अकेले असम सचिवालय ही हर महीने लगभग 30 लाख रुपए की बिजली की खपत करता था, जबकि राज्य लगभग 15 प्रतिशत की भयावह बिजली कमी से जूझ रहा था।

सरमा ने दशकों के कुशासन के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वह विरासत है जो हमें मिली है।

मुख्यमंत्री ने 2016 से लागू किए गए सुधारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी सरकार ने मंत्रियों और नौकरशाहों को अपने बिजली बिल स्वयं भरने के लिए बाध्य करके वीआईपी संस्कृति को समाप्त कर दिया है। अब सभी सरकारी कार्यालयों में मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे पारदर्शिता और जिम्मेदार खपत सुनिश्चित होती है।

सरमा ने यह भी बताया कि अनावश्यक उपयोग को रोकने के लिए सरकारी कार्यालयों में रात 8 बजे के बाद स्वचालित बिजली कटौती प्रणाली लागू की गई है। सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए असम सचिवालय अब पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है, जिससे सरकारी खजाने को हर महीने लगभग 30 लाख रुपए की बचत हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं। ये सेवा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, न कि विशेषाधिकार को।

उन्होंने आगे कहा कि इन उपायों के परिणामस्वरूप असम में बिजली की कमी को काफी हद तक कम करके मात्र 4 प्रतिशत कर दिया गया है।

--आईएएनएस

एमएस/डीकेपी