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मनरेगा में बदलाव पर सचिन पायलट का केंद्र पर हमला, बताया 'ऐतिहासिक भूल'

बेंगलुरु, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बदलाव कर ग्रामीण भारत की आर्थिक सुरक्षा को “नष्ट” कर रही है। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की “ऐतिहासिक भूल” करार दिया।
 
मनरेगा में बदलाव पर सचिन पायलट का केंद्र पर हमला, बताया 'ऐतिहासिक भूल'

बेंगलुरु, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बदलाव कर ग्रामीण भारत की आर्थिक सुरक्षा को “नष्ट” कर रही है। उन्होंने इसे केंद्र सरकार की “ऐतिहासिक भूल” करार दिया।

बेंगलुरु स्थित कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी किसी योजना का नाम बदला गया है। उन्होंने कहा, “पहले योजनाओं का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा जाता था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसके उलट किया है। यह ग्रामीण भारत की आर्थिक सुरक्षा पर सीधा हमला है।”

पायलट ने कहा कि मनरेगा कांग्रेस सरकार की दूरदर्शी योजना थी, जिसने संविधान के तहत देश के सबसे गरीब वर्गों को रोजगार का अधिकार दिया। उन्होंने कहा, “इस योजना के तहत ग्रामीण गरीब परिवार के एक सदस्य को हर साल 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया गया था।”

उन्होंने याद दिलाया कि कोविड-19 जैसी आपदा के दौरान मनरेगा ग्रामीण इलाकों के लिए एकमात्र आर्थिक सुरक्षा कवच साबित हुई थी। पायलट ने आरोप लगाया, “बिना संसद में चर्चा, बिना राज्यों से परामर्श और बिना स्थायी समिति के सामने रखे, केंद्र ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए योजना में बदलाव किए हैं। किसी ने इन बदलावों की मांग नहीं की थी। यह राष्ट्रपिता का अपमान और गरीबों के जीवन पर हमला है।”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा को “मांग आधारित योजना” से “केंद्रीय नियंत्रण वाली योजना” में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि पहले स्थानीय निकाय तय करते थे कि कितना और कहां काम चाहिए, लेकिन अब यह फैसला केंद्र करेगा। महात्मा गांधी ग्राम स्वराज और पंचायतों की ताकत में विश्वास रखते थे, लेकिन अब स्थानीय सरकारों से अधिकार छीने जा रहे हैं।

पायलट ने यह भी कहा कि पहले योजना की लागत का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राज्य वहन करते थे, लेकिन अब इसे 60:40 के अनुपात में बदल दिया गया है, जिससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने पहले भाषण में मनरेगा को कांग्रेस की “ऐतिहासिक गलती” बताया था, हालांकि 11 साल बाद भी भाजपा सरकार इस योजना को खत्म नहीं कर पाई है। यह योजना वैश्विक स्तर पर सराही गई थी। रोजगार की कानूनी गारंटी देने वाला ऐसा कानून किसी और देश में नहीं था।

पायलट ने दावा किया कि केंद्र सरकार रोजगार के दिनों को 100 से 125 करने का दावा कर रही है, लेकिन वास्तव में योजना को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने राजस्थान में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड काल में करीब 50 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित हुआ था और इस योजना से 12 से 15 करोड़ लोगों को सहारा मिला।

उन्होंने कहा, “केंद्र के इस फैसले से ग्रामीण इलाकों पर दबाव और बढ़ेगा। यह निंदनीय है और पूरे देश को, खासकर इंडिया गठबंधन को, इसका विरोध करना चाहिए। हम पूरी ताकत से दबाव बनाएंगे ताकि ये बदलाव वापस लिए जाएं।”

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार का कहना है कि इस कानून के तहत ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार की वैधानिक गारंटी 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है और रोजगार न मिलने की स्थिति में 15 दिन बाद बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा।

--आईएएनएस

डीएससी