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हिजाब विवाद पर जदयू सांसद रामप्रीत मंडल बोले, नीतीश कुमार की छवि बिगाड़ने की साजिश कर रहा विपक्ष

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वायरल वीडियो को लेकर सियासी हलचल तेज है। वीडियो में में सीएम एक महिला का हिजाब हटाते दिख रहे हैं। इस मुद्दे पर जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद रामप्रीत मंडल ने सीएम का बचाव करते हुए उन पर लगे आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
 
हिजाब विवाद पर जदयू सांसद रामप्रीत मंडल बोले, नीतीश कुमार की छवि बिगाड़ने की साजिश कर रहा विपक्ष

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वायरल वीडियो को लेकर सियासी हलचल तेज है। वीडियो में में सीएम एक महिला का हिजाब हटाते दिख रहे हैं। इस मुद्दे पर जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद रामप्रीत मंडल ने सीएम का बचाव करते हुए उन पर लगे आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।

रामप्रीत मंडल ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, उन पर उन्हें सबसे पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। हमारे मुख्यमंत्री इस तरह का काम कभी नहीं कर सकते। महिलाओं के लिए उन्होंने जितना काम किया है, उतना शायद पूरी दुनिया में किसी ने नहीं किया होगा।

जदयू सांसद ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए ऐतिहासिक काम किए हैं। चाहे जीविका दीदी योजना हो, महिलाओं का स्वास्थ्य हो या शिक्षा, हर क्षेत्र में नीतीश कुमार ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह इस तरह की अफवाहें फैलाकर मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है।

रामप्रीत मंडल ने आगे कहा कि नीतीश कुमार को लोग चाणक्य के रूप में जानते हैं और उनका राजनीतिक अनुभव और समझ किसी से छिपी नहीं है। मुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर इस तरह के विवाद खड़े किए जा रहे हैं।

जदयू सांसद ने विकसित भारत–ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन विधेयक (विकसित भारत-जी राम जी) बिल के संसद से पारित होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पहले महात्मा गांधी के नाम का दुरुपयोग किया जा रहा था। गरीबों के नाम पर पैसे इकट्ठा किए जाते थे और काम जेसीबी मशीनों से होता था, जिससे गांधी जी के नाम को ठेस पहुंच रही थी।

रामप्रीत मंडल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया यह नया बिल एक अच्छा और जरूरी कदम है। यह विधेयक अब मनरेगा की जगह लेगा और हर ग्रामीण परिवार को कानूनी तौर पर रोजगार की गारंटी देगा।

इस कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 125 दिन का काम दिया जाएगा। रोजगार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। वेतन पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60:40 के अनुपात में होगी।

पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह हिस्सेदारी 90:10 के अनुपात में होगी और बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण का प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति नौकरी मांगने के बाद 15 दिनों के भीतर काम नहीं पाता, तो उसे भत्ता दिया जाएगा, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा इस योजना में 60 दिन की 'नो वर्क' विंडो का भी प्रावधान रखा गया है।

--आईएएनएस

वीकेयू/वीसी