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एचडी कुमारस्वामी की ‘भगवद् गीता’ को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को विनोद बंसल का समर्थन

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएनएस)। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने की मांग का समर्थन किया है।
 
एचडी कुमारस्वामी की ‘भगवद् गीता’ को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को विनोद बंसल का समर्थन

नई दिल्‍ली, 6 दिसंबर (आईएनएस)। विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता विनोद बंसल ने केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी के स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने की मांग का समर्थन किया है।

वीएचपी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता विनोद बंसल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि बिल्कुल, भगवद गीता को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए और छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दो-तीन देशों के नेताओं को गीता की प्रतियां दी हैं। कई मुस्लिम स्कॉलर्स एपीजे अब्दुल कलाम की किताबें पढ़ते थे, अपने पास गीता रखते थे और उन्होंने कहा है कि उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए इससे बहुत प्रेरणा मिली। इसलिए, इसे निश्चित रूप से पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिए। कुछ विकृत मानसिकता के लोग हैं जो इसका विरोध करते हैं, क्योंकि वे गीता को समझ ही नहीं पाए।

वहीं, कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि अगर भगवद गीता का जिक्र अच्छे मूल्यों के संदर्भ में किया जाता है, तो उसके कुछ हिस्सों को शामिल किया जा सकता है, लेकिन दूसरे धर्मों की शिक्षाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि शिक्षा धर्मनिरपेक्ष रहनी चाहिए। अगर गीता को शामिल किया जाता है, तो वह सिर्फ पढ़ाई के मकसद से होना चाहिए। धर्म एक ऐसी चीज है जो हम घर पर, अपने मूल्यों, माता-पिता, बड़ों और शिक्षकों से सीखते हैं, वह सिस्टम अलग है। वहीं, अगर शिक्षा की बात करें, तो वह हमेशा तथ्‍यपरक और ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए। उसी पर बात करनी चाहिए।

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई के पीएम मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भगवद गीता भेंट करने पर आपत्ति जताने पर, कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि यह उनका निजी मामला है। पीएम मोदी, पुतिन को कोई भी किताब गिफ्ट करें, चाहे वह भगवद गीता हो या कुछ और, यह एक निजी मामला है। मेरी राय में, इस बारे में कोई आलोचना नहीं होनी चाहिए।

--आईएएनएस

एएसएच/डीएससी