गुजरात: 'जमसे दाहोद, रमसे दाहोद, भणसे दाहोद' प्रोजेक्ट बना नौनिहालों को खेल-खेल में सिखाने का अनूठा मॉडल
दाहोद, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। गुजरात के आदिवासी बहुल और पिछड़े क्षेत्र दाहोद जिले में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए एक अनोखा प्रयास किया जा रहा है। गुजरात सरकार की 'पा पा पगली योजना' के तहत शुरू किए गए 'जमसे दाहोद, रमसे दाहोद, भणसे दाहोद' प्रोजेक्ट ने जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों को खेल आधारित शिक्षा का केंद्र बना दिया है।
यह प्रोजेक्ट 3 से 6 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान कर रहा है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो रहा है।
दाहोद जिले के जोरवाणी गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में रोजाना छोटे-छोटे नौनिहाल उत्साह से पहुंचते हैं। यहां वे रंग-बिरंगे खिलौनों, गीत-संगीत और समूह गतिविधियों के जरिए भाषा, गणित और सामाजिक कौशल सीखते हैं। आंगनबाड़ी वर्कर भावना एम. भाभोर कहती हैं, "यह प्रोजेक्ट बच्चों को बहुत पसंद है। खेल के माध्यम से वे जल्दी सीखते हैं और आत्मविश्वास बढ़ता है। पहले बच्चे शर्माते थे, अब खुले मन से भाग लेते हैं।"
दरअसल, दाहोद में स्कूल ड्रॉपआउट दर काफी ऊंची रही है। आदिवासी परिवारों की आर्थिक स्थिति और प्रवासी मजदूरी के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाते थे। जिला कार्यक्रम अधिकारी इरा चौहान बताती हैं, "यह योजना बच्चों को प्राथमिक कक्षाओं के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। खेल-आधारित करिकुलम से उनकी एकाग्रता और रुचि बढ़ी है, जिससे आगे की पढ़ाई आसान हो जाती है।"
आंगनबाड़ी केंद्र अब केवल पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं रहे। ये बाल विकास की मजबूत कड़ी बन गए हैं। 'जमसे दाहोद, रमसे दाहोद, भणसे दाहोद' प्रोजेक्ट के तहत जिले के 3056 आंगनबाड़ी केंद्रों में वर्कर्स को रोजाना वीडियो गाइडेंस दी जाती है। इन वीडियो में खेल गतिविधियों के डेमो दिखाए जाते हैं, जिन्हें वर्कर्स बच्चों के साथ लागू करती हैं। इससे बच्चों के आत्मविश्वास, सीखने की क्षमता और सामाजिक कौशल में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
यह मॉडल दाहोद में इतना लोकप्रिय हो चुका है कि इसे पूरे राज्य के लिए आदर्श माना जा रहा है। वीडियो और खेल आधारित यह करिकुलम न केवल मनोरंजक है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से बच्चों के मस्तिष्क विकास को बढ़ावा देता है।
दाहोद का यह प्रयास अन्य पिछड़े जिलों के लिए प्रेरणा बन सकता है। गुजरात सरकार की इस पहल से हजारों नौनिहालों का भविष्य उज्ज्वल हो रहा है। खेलते-खेलते सीखने की यह विधि साबित कर रही है कि शिक्षा बोझ नहीं, आनंद हो सकती है।
--आईएएनएस
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