गुजरात : आणंद के प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ देश का पहला बायोएथिक्स सेंटर
आणंद, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। मेडिकल फील्ड में चिकित्सकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इलाज के दौरान मरीजों को संतुष्ट करना और उन्हें यह भरोसा दिलाना होता है कि उनका ट्रीटमेंट सही चल रहा है। अक्सर देखने में आता है कि चिकित्सक मरीजों के प्रति संवेदनशील नजरिया नहीं अपनाते हैं और उन्हें विश्वास में लेने में असफल रहते हैं। चिकित्सकों और मेडिकल क्षेत्र से जुड़े दूसरे प्रोफेशनल्स को इसके बारे में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से गुजरात के आणंद जिले में भारत का पहला 'बायोएथिक्स सेंटर' शुरू किया गया है। यह 'बायोएथिक्स सेंटर' सरदार वल्लभभाई पटेल के गृहनगर करमसद स्थित भाईकाका यूनिवर्सिटी के प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज में शुरू किया गया है।
प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज के एडिशनल डीन डॉक्टर दिनेश कुमार कहते हैं, "हम चिकित्सा के नीतिशास्त्र का अध्ययन करते हैं। उसकी शिक्षा छात्रों और दूसरे डॉक्टरों को दी जाती है।"
इंटरनेशनल चेयर इन बायोएथिक्स, पोर्टो, पुर्तगाल के तत्वावधान में शुरू किए गए इस सेंटर में डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और नर्सिंग स्टाफ को 'बायोएथिक्स' की शिक्षा दी जा रही है। 'बायोएथिक्स सेंटर' की हेड डॉक्टर बरना गांगुली बताती हैं, "यह 'सेंटर ऑफ बायोएथिक्स' एक नया कॉन्सैप्ट है। यह स्वास्थ्य क्षेत्र जैसे चिकित्सा शिक्षा और रिसर्च में भी शामिल है।"
मेडिकल छात्रों के मुताबिक, एक हेल्थ प्रोफेशनल के जीवन में 'बायोएथिक्स' की बहुत बड़ी भूमिका होती है और इसकी ट्रेनिंग भविष्य में उन्हें एक संवेदनशील चिकित्सक बनने में मदद करेगी। मेडिकल स्टूडेंट जान्हवी टोपीवाला कहती हैं, "हमें फर्स्ट ईयर से 'बायोएथिक्स' के बारे में सिखाया गया है। हमें बताया गया है कि 'बायोएथिक्स' क्या है और इसे दैनिक जीवन में कैसे शामिल कर सकते हैं।"
एक स्वास्थ्यकर्मी के जीवन में एथिक्स और प्रोफेशनलिज्म के बीच बेहतर तालमेल बेहद जरूरी होता है। भारत में 'बायोएथिक्स' को लेकर पिछले कुछ वर्षों में जागरूकता तो आई है, लेकिन इसके प्रशिक्षण की कमी बनी हुई है। ऐसे में गुजरात के प्रमुखस्वामी मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ यह 'बायोएथिक्स सेंटर' निश्चित तौर पर मेडिकल फील्ड के इस महत्वपूर्ण विषय की पढ़ाई को दिशा देने का काम करेगा।
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