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गरीबी में हुआ जन्म और राजनीति ने खत्म किया फिल्मी करियर, कुछ ऐसा रहा एक्टर गोविंदा का सफर

मुंबई, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। 80 के दशक में कई बड़े हीरो ने पर्दे पर अपने एक्शन और लुक्स से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन 1980 में जब पहली बार गोविंदा ने सिनेमा के पर्दे पर एंट्री ली, तो देखते ही देखते दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा गए।
 
गरीबी में हुआ जन्म और राजनीति ने खत्म किया फिल्मी करियर, कुछ ऐसा रहा एक्टर गोविंदा का सफर

मुंबई, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। 80 के दशक में कई बड़े हीरो ने पर्दे पर अपने एक्शन और लुक्स से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन 1980 में जब पहली बार गोविंदा ने सिनेमा के पर्दे पर एंट्री ली, तो देखते ही देखते दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा गए।

अभिनेता ने अपने करियर के पीक पर साल में 15-15 फिल्में साइन की, लेकिन उनकी शुरुआती जिंदगी और करियर दोनों संघर्ष से भरे थे। अभिनेता रविवार को अपना 62वां जन्मदिन मनाएंगे।

हिम्मत और मेहनत के जरिए इंसान पहाड़ को भी झुका सकता है, इस कहावत को गोविंदा ने सार्थक किया। अभिनेता का जन्म गरीबी में हुआ, जब उनके परिवार और पिता हवेली से चॉल में शिफ्ट हुए। अभिनेता के पिता अरुण आहूजा 1940 के दशक के अभिनेता थे जिन्होंने 'औरत' और 'एक ही रास्ता' जैसी फिल्मों में काम किया था।

अभिनेता के पिता ने फिल्में प्रोड्यूस की और यही कारण था जिसकी वजह से वे अपने परिवार के साथ चॉल में शिफ्ट हुए। अभिनेता की फिल्में डूबने लगीं और उनका करियर भी। इन्हीं दुख और परेशानी के समय गोविंदा का जन्म हुआ।

गोविंदा को उनके घर में प्यार से 'चीची' बुलाते हैं। ये प्यारा नाम उनकी मां ने उन्हें दिया क्योंकि वे घर में सबसे छोटे थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अभिनेता की मां का मानना था कि वे भगवान श्री कृष्ण की तरह सारी परेशानी को सबसे छोटी उंगली पर उठा लेंगे और वैसा ही हुआ। अपने परिवार को गरीबी से निकालने में गोविंदा का बड़ा हाथ रहा।

करियर की शुरुआत में अभिनेता को एक्टर बनना था लेकिन उनसे डांस सीखने के लिए कहा गया। जावेद जाफरी के शो 'बूगी-वूगी' में अभिनेता ने खुलासा किया था कि उन्हें जावेद जाफरी का वीडियो दिखाकर डांस सीखने की सलाह दी गई थी और उनके वीडियो देखकर ही उन्होंने शुरू में डांस सीखा था, लेकिन बाद में कोरियोग्राफर सरोज खान ने उन्हें डांस की तालीम दी।

1986 में आई फिल्म 'इल्जाम' से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन साल 1990 का दशक अभिनेता का बेहतरीन साल रहा क्योंकि उनकी बैक टू बैक कई फिल्में रिलीज हुईं। इसे उनके करियर का स्वर्णिम काल कहा गया। उनकी 'हीरो नंबर 1', 'साजन चले ससुराल', 'राजा बाबू', और 'कुली नंबर 1' जैसी फिल्में सुपरहिट हुईं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने सफल करियर के समय अभिनेता एक फिल्म का 1 करोड़ रुपये चार्ज करते थे।

साल 2004 में अभिनेता ने राजनीति में कदम रखा। वे कांग्रेस में शामिल हुए और नॉर्थ मुंबई से चुनाव जीता और इसके बाद फिल्मी करियर में गिरावट का दौर शुरू हो गया। अभिनेता ने खुद स्वीकारा कि राजनीति में आने की वजह से उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और पार्टी के कुछ राजनेता ही उनके दुश्मन बन गए थे। अभिनेता ने ये तक कहा था कि उनकी फिल्मों को राजनेताओं के जरिए रिलीज होने से रोका गया।

--आईएएनएस

पीएस/वीसी