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देश के वीर सपूतों को समर्पित राष्ट्रपति भवन की ‘परम वीर दीर्घा’

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति भवन में एक विशेष दीर्घा बनाई गई है। इस दीर्घा की विशेषता यह है कि यह स्थान देश के वीर सपूतों को समर्पित है। स्वयं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दीर्घा का उद्घाटन किया। यहां पर परम वीर चक्र विजेताओं के चित्रों को सम्मान के साथ प्रदर्शित किया गया है।
 
देश के वीर सपूतों को समर्पित राष्ट्रपति भवन की ‘परम वीर दीर्घा’

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति भवन में एक विशेष दीर्घा बनाई गई है। इस दीर्घा की विशेषता यह है कि यह स्थान देश के वीर सपूतों को समर्पित है। स्वयं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दीर्घा का उद्घाटन किया। यहां पर परम वीर चक्र विजेताओं के चित्रों को सम्मान के साथ प्रदर्शित किया गया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में ‘परम वीर दीर्घा’ का उद्घाटन किया। इस दीर्घा में परम वीर चक्र से सम्मानित सभी 21 वीरों के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य परमवीर चक्र विजेता, राष्ट्रीय नायकों के अदम्य साहस और बलिदान से देशवासियों को अवगत कराना है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने परम वीर चक्र विजेताओं और उनके परिजनों को सम्मानित भी किया। यहां इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

बता दें कि देश आज 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक विजय की स्मृति में ‘विजय दिवस’ मना रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 1971 युद्ध के वीर नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि हमारे वीरों का शौर्य, समर्पण और देशभक्ति सदैव राष्ट्र को गौरव दिलाती रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। 1971 के युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना पर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। यह ऐसी युद्ध विजय थी जिसमें 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।

इस जीत ने भारत के सैन्य इतिहास को बदल दिया और दक्षिण एशिया का नया नक्शा भी बनाया। इस जीत के साथ ही एक नए राष्ट्र, यानी ‘बांग्लादेश’, का जन्म भी हुआ था। विजय दिवस के रूप में आज पूरा देश उस दिन को याद कर रहा है। स्वयं भारतीय सेना का मानना है कि विजय दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह 1971 के युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक और निर्णायक जीत का प्रतीक है।

इस अवसर पर भारतीय सेना ने बताया कि यह वह विजय थी जिसमें मुक्ति बहिनी और भारतीय सशस्त्र बल कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए और मिलकर बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई को निर्णायक मोड़ दिया। सेना के मुताबिक इसके साथ ही, इस युद्ध ने पाकिस्तान सेना द्वारा एक पूरे समुदाय पर चल रहे अत्याचार, उत्पीड़न और क्रूरता को भी समाप्त कर दिया।

सेना का कहना है कि केवल 13 दिनों में भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्भुत साहस, मजबूत इरादा और श्रेष्ठ सैन्य कौशल दिखाया। इसके परिणामस्वरूप 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण दुनिया के सबसे बड़े सैन्य आत्मसमर्पणों में से एक है।

--आईएएनएस

जीसीबी/डीकेपी