भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2030 में 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2029-30 तक करीब 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इसका सबसे बड़ा कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बढ़ती ताकत और उसका ज्यादा इस्तेमाल होना है, जो आने वाले समय में देश की तरक्की को नई दिशा देगा। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
टीम लीज डिजिटल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का एआई मार्केट 2027 तक लगभग 17 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। साथ ही, एआई पेशेवरों की संख्या भी लगभग 12.5 लाख तक पहुंच जाएगी, जो दुनिया के कुल एआई टैलेंट का करीब 16 प्रतिशत होगा। इसका मतलब है कि भारत इस क्षेत्र में दुनिया के बड़े देशों में शामिल हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तेजी मुख्य रूप से एंटरप्राइज एआई पर खर्च, राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म और मजबूत एसटीईएम शिक्षा पाइपलाइन से हो रही है। उच्च मूल्य वाले एआई भूमिकाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जबकि पारंपरिक नौकरियों की मांग स्थिर है।
रिपोर्ट ने 6 मुख्य एआई स्किल्स का जिक्र किया गया है, जो 2026 में सबसे ज्यादा मांग में होंगी। इसमें सिमुलेशन गवर्नेस (जिसमें 26-35 लाख रुपए प्रति वर्ष तक वेतन मिल सकता है), एजेंट डिजाइन (25-32 लाख रुपए प्रति वर्ष वेतन), एआई ऑर्केस्ट्रेशन (24-30 लाख रुपए प्रति वर्ष), प्रॉम्ट इंजीनियरिंग (22-28 लाख रुपए प्रति वर्ष), एलएलएम सेफ्टी एंड ट्यूनिंग (20-26 लाख रुपए प्रति वर्ष) और एआई कंप्लायंस एंड रिस्क ऑपरेशंस (18-24 लाख रुपए प्रति वर्ष) शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्तर पर लगभग 40 प्रतिशत नौकरियां खासकर आईटी सेवाओं, हेल्थकेयर, बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस) और ग्राहक अनुभव वाले सेक्टर में एआई से प्रभावित होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनियां एआई को केवल डेटा साइंस तक सीमित नहीं रख रही हैं, बल्कि इसे नेतृत्व, संचालन, जोखिम प्रबंधन और अनुपालन में भी लागू कर रही हैं। इस कारण बड़े स्तर पर कौशल विकास और मानव-एआई वर्कफ्लो पर जोर दिया जा रहा है।
सबसे ज्यादा मांग सामान्य एआई भूमिकाओं के बजाय एंटरप्राइज-ग्रेड एआई स्किल्स की है, जो शासन, विश्वास, समन्वय और स्केलेबिलिटी के लिए जरूरी हैं। इन कौशलों की मांग प्रमुख शहरों, जैसे- बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में है, जहां ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, एआई-फर्स्ट स्टार्टअप्स और बड़े एंटरप्राइज कार्यरत हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मिड-लेवल प्रोफेशनल्स की भूमिका बढ़ रही है, क्योंकि वे व्यावहारिक एआई को शासन, समन्वय और वास्तविक व्यापार जरूरतों के साथ जोड़ सकते हैं।
--आईएएनएस
दुर्गेश बहादुर/ एबीएस
