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बांग्लादेश पर मोहन भागवत का बड़ा बयान, 'संकटों की नहीं, उपायों पर चर्चा होनी चाहिए'

रायपुर, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत बुधवार को रायपुर के असंग देव कबीर आश्रम में आयोजित एक हिंदू सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने समाज से पांच मुख्य बातों को ध्यान में रखने का आग्रह किया।
 
बांग्लादेश पर मोहन भागवत का बड़ा बयान, 'संकटों की नहीं, उपायों पर चर्चा होनी चाहिए'

रायपुर, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत बुधवार को रायपुर के असंग देव कबीर आश्रम में आयोजित एक हिंदू सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने समाज से पांच मुख्य बातों को ध्यान में रखने का आग्रह किया।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू सम्मेलन के अपने संबोधन में कहा कि संघ के कार्य को 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं, इसलिए हिंदू सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन मंडल स्तर पर, यानी 15 से 20 गांवों के समूह में किया जा रहा है। संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर कोई उत्सव नहीं करना है, बल्कि समाज में जाना है।

उन्होंने कहा कि भारत में हर जगह के लोग हैं। किसी भी क्षेत्र पर विचार करें तो संकट दिखाई देता है, चाहे बांग्लादेश का विषय हो या अन्य। संकटों की चर्चा करने से कोई मतलब नहीं है, चर्चा उपायों की होनी चाहिए। उन संकटों का उपाय हमारे पास ही है। हम ठीक रहें तो किसी भी संकट की इतनी औकात नहीं कि वह हमें परेशान कर सके। इतनी चैतन्य शक्ति प्रत्येक मनुष्य में और हिंदू समाज में है।

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि हिंदू समाज की स्थिति ऐसी है कि समस्या है, लेकिन उसका उपाय भी है और वह उपाय हमारे अपने हाथ में है। संतों का संगम सदा मिलता रहता है। हिंदू समाज के पास संतों का ज्ञान है, तत्वज्ञान है। जो संतों का ज्ञान आज हमारे पास है, वह और किसी के पास नहीं है, लेकिन हम उसका उपयोग नहीं करते।

उन्होंने कहा कि हमें सत्संगों और विचारों को केवल सुनना नहीं है, बल्कि उन्हें साथ में रखकर कुछ न कुछ करना है। हमें पांच बातें करनी हैं। पहली बात, अपनी आंखों से अलगाव को निकालें, सबको अपना मानें। सभी हिंदुओं को एक मानें। जैसा हमारे मित्रों के साथ हमारा व्यवहार होता है, वैसा ही व्यवहार सबके साथ होना चाहिए। जात-पात और धन नहीं देखना है। सबको अपना मित्र बनाना है, सामाजिक समरसता लानी है। राम को देखता हूं और कहता हूं कि जो मुझमें है, वह आप में भी है। सब मेरे अपने ही हैं। ऐसा व्यवहार करें। दूसरी महत्वपूर्ण बात, जब आदमी दुनिया में अकेला पड़ता है, तब नशे में ज्यादा फंसता है। अपने घर में सप्ताह में एक बार शाम के समय तय करके सब लोग एक साथ बैठें। श्रद्धा, विचार और भजन करें और घर में बने माता जी के हाथ का भोजन करें। तीन-चार दिन में एक घंटा बैठकर आपस में बातचीत करें। मेरा भारत हिंदुओं का देश है। ढाई अक्षर का प्रेम, इसे समझना है। हमारे देश में ऐसी परंपरा है, जिन्होंने इसे जिया है।

उन्होंने कहा कि तीसरी महत्वपूर्ण बात ग्लोबल वार्मिंग, जंगल, पानी आदि की चिंता करने की जरूरत है। इसका प्रयोग अपने घर से ही शुरू करना है। छोटी-छोटी बातों में अपने घर से पानी बचाओ, वाटर हार्वेस्टिंग करो, छोटे-छोटे जल स्रोत फिर से शुरू हों, इसके लिए प्रयास करना है। उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने से मना करते हुए कहा कि एक पेड़ लगाना चाहिए और उसके बड़ा होने तक उसकी देखभाल करनी चाहिए। जितनी हरियाली अपने आसपास और अपने घर में कर सकते हो, करो।

उन्होंने चौथी महत्वपूर्ण बात गिनाते हुए कहा कि हमें अपने घर की चौखट के अंदर अपनी भाषा बोलनी चाहिए। अपनी मातृभाषा बोलनी चाहिए। अपनी मातृभाषा और एक व्यवहार की भाषा, जो पूरे देश में बोली जाती है, उसे सीखनी चाहिए। भारत की सारी भाषाएं हमारी राष्ट्रीय भाषाएं हैं। उनके मूल अलग हैं, उनके शब्द अलग हैं, लेकिन उनके भाव एक हैं। भाषा, वेशभूषा और भ्रमण अपने होने चाहिए तथा अपने देश का सामान खरीदना चाहिए।

पांचवीं और अंतिम बात को लेकर उन्होंने कहा कि अपने देश के संविधान, नियम और कानून का पालन करना चाहिए। संविधान की प्रस्तावना, नागरिक कर्तव्य, मार्गदर्शक तत्व और नागरिक अधिकार, यह सब बार-बार पढ़ना चाहिए, क्योंकि धर्म का आचरण कैसा हो, इसका चित्र इसमें दिखता है। धर्म का आचरण इन चार प्रकरणों से बनता है।

उन्होंने कहा कि घर में बड़ों के पैर छूकर नमस्कार करो। बड़े-बड़े लोग भी नम्रता को याद रखने में सफल होते हैं। इन पांच बातों का पालन करेंगे तो हम विजयशाली शक्ति बनेंगे। सारी दुनिया का कल्याण भारत के कल्याण से होगा।

--आईएएनएस

एएमटी/एबीएम