बालेशाह पीर दरगाह विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की खुश खंडेलवाल की याचिका, जनवरी में होगी सुनवाई
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के उत्तन गांव की अवैध बालेशाह पीर दरगाह के खिलाफ एडवोकेट खुश खंडेलवाल की हस्तक्षेप अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने दरगाह की याचिका के साथ जोड़कर सुनवाई करने का आदेश दिया है।
हिंदू टास्क फोर्स के संस्थापक एडवोकेट खुश खंडेलवाल ने उत्तन की अवैध बालेशाह पीर दरगाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश विपुल पंचोली की पीठ के सामने हुई।
सुनवाई के दौरान खुश खंडेलवाल के वकील अमृत जोशी और प्रतीक कोठारी ने अदालत को बताया कि दरगाह ट्रस्ट ने जानबूझकर अपनी याचिका में खुश खंडेलवाल को प्रतिवादी नहीं बनाया, जबकि खुश खंडेलवाल ने दरगाह के अवैध निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जो अब भी लंबित है।
वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में बालेशाह पीर दरगाह ट्रस्ट हाईकोर्ट में प्रतिवादी है और मामला अंतिम सुनवाई के चरण में है। ये सभी बातें दरगाह ट्रस्ट ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से छुपाईं, जिसके कारण उसे आसानी से सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश मिल गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन आदेश के कारण खुश खंडेलवाल की हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका प्रभावित हो रही है। खुश खंडेलवाल ने अपनी हस्तक्षेप अर्जी में सुप्रीम कोर्ट को एक और तथ्य बताया कि मीरा-भायंदर क्षेत्र में बालेशाह पीर बाबा के नाम पर दो अलग-अलग जगहों पर दरगाह बनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इन दो दरगाहों में से एक उत्तन डोंगरी में है और दूसरी भायंदर पश्चिम के कोलीवाड़ा क्षेत्र में स्थित है। यह जानकारी अदालत के सामने रखे जाने के बाद सवाल उठाया गया कि एक ही बाबा की दो अलग-अलग जगह कब्र कैसे हो सकती है। इस मामले की अगली संभावित सुनवाई 5 जनवरी 2026 को हो सकती है।
--आईएएनएस
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