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एएनएससीबीएल फ्रॉड केस में कोर्ट ने चार आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कीं

पोर्ट ब्लेयर, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। अंडमान और निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (एएनएससीबीएल) से जुड़े बहुचर्चित बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में स्पेशल कोर्ट (पीएमएलए), पोर्ट ब्लेयर ने गिरफ्तार चारों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। जिन आरोपियों को राहत नहीं मिली है, उनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व सांसद और एएनएससीबीएल के पूर्व चेयरमैन कुलदीप राय शर्मा, बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर के. मुरुगन, लोन ऑफिसर के. कलैवनन और कुलदीप राय शर्मा के सहयोगी संजय लाल शामिल हैं।
 
एएनएससीबीएल फ्रॉड केस में कोर्ट ने चार आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कीं

पोर्ट ब्लेयर, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। अंडमान और निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (एएनएससीबीएल) से जुड़े बहुचर्चित बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में स्पेशल कोर्ट (पीएमएलए), पोर्ट ब्लेयर ने गिरफ्तार चारों आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। जिन आरोपियों को राहत नहीं मिली है, उनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व सांसद और एएनएससीबीएल के पूर्व चेयरमैन कुलदीप राय शर्मा, बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर के. मुरुगन, लोन ऑफिसर के. कलैवनन और कुलदीप राय शर्मा के सहयोगी संजय लाल शामिल हैं।

चारों आरोपियों ने स्पेशल कोर्ट (पीएमएलए), पोर्ट ब्लेयर में जमानत के लिए आवेदन किया था, जिस पर दोनों पक्षों की लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 12 दिसंबर के आदेश के तहत जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसे ठोस सबूत मौजूद हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि एएनएससीबीएल से जुड़े फ्रॉड और उससे संबंधित शेल कंपनियों के माध्यम से की गई मनी-लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में चारों आरोपी सक्रिय रूप से शामिल थे।

स्पेशल कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए विभिन्न बयानों पर भरोसा जताते हुए कहा कि आरोपियों की मिलीभगत से शेल कंपनियों का गठन किया गया। इन कंपनियों के जरिए बैंक फंड का दुरुपयोग किया गया और फ्रॉड से हासिल की गई बड़ी रकम को रिश्वत के रूप में कुलदीप राय शर्मा तक पहुंचाया गया, साथ ही इस धन से अचल संपत्तियां भी खरीदी गईं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि कुलदीप राय शर्मा और संजय लाल ने फ्रॉड से जुड़े अहम सबूतों को नष्ट किया है।

कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट किया कि चारों आरोपियों की गिरफ्तारी वैध और उचित थी। इसी आधार पर पीएमएलए की धारा 45 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन चारों आरोपियों को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 की धारा 19 के तहत 500 करोड़ रुपए से अधिक के बैंक फ्रॉड मामले में गिरफ्तार किया था। इस मामले में पूर्व सांसद कुलदीप राय शर्मा की भूमिका को भी गंभीर बताया गया है। इसके अलावा, ईडी ने 14 नवंबर 2025 को पोर्ट ब्लेयर स्थित स्पेशल कोर्ट (पीएमएलए) में गिरफ्तार आरोपियों समेत कुल 39 लोगों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल की थी।

ईडी ने यह जांच अंडमान और निकोबार पुलिस के क्राइम एंड इकोनॉमिक ऑफेंस सेल द्वारा कुलदीप राय शर्मा और एएनएससीबीएल के कई अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में सामने आया है कि बैंक अधिकारियों ने संजय लाल और संजीव लाल के साथ मिलकर कई शेल कंपनियों का गठन किया और इन्हें तथा अपनी नियमित कंपनियों को बड़े पैमाने पर बैंक लोन मंजूर किए, जिनका उद्देश्य लोन चुकाना नहीं, बल्कि बैंक को नुकसान पहुंचाकर खुद को लाभ पहुंचाना था।

अब तक की जांच में यह खुलासा हुआ है कि 100 से अधिक लोन खातों के जरिए विभिन्न फर्मों और शेल कंपनियों के नाम पर बैंक लोन की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। इस धोखाधड़ी और एनपीए से जुड़ी कुल राशि 500 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि मामले में आगे की जांच अभी जारी है।

--आईएएनएस

एएसएच/डीकेपी