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प्रयागराज : पूर्व विधायक और एमएलसी के खिलाफ ईडी ने की अभियोजन शिकायत, 25.46 करोड़ की संपत्ति अटैच

प्रयागराज, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद सब-जोनल ऑफिस के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए 2002 के तहत भदोही सीट के पूर्व एमएलए विजय मिश्रा, पूर्व एमएलसी राम लली मिश्रा और तीन दूसरे आरोपियों (विष्णु कुमार मिश्रा, मेसर्स वीएसपी स्टारर रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और भोलानाथ राजपति शुक्ला) के खिलाफ 31 जुलाई को अभियोजन शिकायत (पीसी) फाइल की थी।
 
प्रयागराज : पूर्व विधायक और एमएलसी के खिलाफ ईडी ने की अभियोजन शिकायत, 25.46 करोड़ की संपत्ति अटैच

प्रयागराज, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद सब-जोनल ऑफिस के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए 2002 के तहत भदोही सीट के पूर्व एमएलए विजय मिश्रा, पूर्व एमएलसी राम लली मिश्रा और तीन दूसरे आरोपियों (विष्णु कुमार मिश्रा, मेसर्स वीएसपी स्टारर रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड और भोलानाथ राजपति शुक्ला) के खिलाफ 31 जुलाई को अभियोजन शिकायत (पीसी) फाइल की थी।

लखनऊ सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज ने 18 दिसंबर को अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लिया।

ईडी ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा विजय मिश्रा, राम लली मिश्रा और दूसरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। इसके बाद, उत्तर प्रदेश पुलिस ने 14 और 26 जुलाई 2023 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत चार्जशीट दायर कीं।

इन पर सरकारी कर्मचारी के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चल और अचल संपत्तियों के रूप में 36.07 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति जमा करने का आरोप है। इस मामले के अलावा, विजय मिश्रा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य में जबरन वसूली, अवैध खनन, अपहरण, हत्या, लूट, धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और संगठित अपराधों के लिए कई मामले दर्ज पाए गए।

जांच के दौरान पता चला कि विजय मिश्रा और राम लली मिश्रा ने सरकारी कर्मचारी के तौर पर काम करते हुए अपने आधिकारिक पदों का गलत इस्तेमाल किया और इसके लिए, मेसर्स वीएसपी स्टारर रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी बनाई। इसके जरिए गलत तरीके से कमाए गए बड़ी रकम को लॉन्ड्रिंग करके अपने नाम पर बहुत बड़ी प्रॉपर्टी बनाई। गैरकानूनी तरीके से की गई कमाई को बेनामी प्रॉपर्टी के रूप में निवेश किया गया था।

ईडी की जांच में यह पाया गया कि विजय मिश्रा और परिवार के सदस्यों की आपराधिक गतिविधियों से कमाए गए आय को बेदाग दिखाने के लिए व्यापारिक गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया था। जांच में यह भी पता चला कि अपराध द्वारा अर्जित आय का एक हिस्सा लोन की आड़ में ट्रांसफर किया गया था ताकि इसे बेदाग दिखाया जा सके। आपराधिक तरीके से हासिल की गई चल और अचल प्रॉपर्टी को पीएमएलए, 2002 के प्रोविजन के तहत अटैच किया गया है।

इस मामले में अटैच की गई प्रॉपर्टी की कुल कीमत 25.46 करोड़ रुपए है, जिसमें प्रयागराज, नई दिल्ली, मुंबई और रीवा में मौजूद कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी शामिल हैं। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

--आईएएनएस

वीकेयू/एबीएम