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7000 एकड़ में धान की खेती के बावजूद दिल्ली में पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया: सीएम रेखा गुप्ता

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि 7,000 एकड़ में धान की खेती के बावजूद दिल्ली में पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया। यह प्रदूषण नियंत्रण में दिल्ली सरकार की बड़ी सफलता है।
 
7000 एकड़ में धान की खेती के बावजूद दिल्ली में पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया: सीएम रेखा गुप्ता

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि 7,000 एकड़ में धान की खेती के बावजूद दिल्ली में पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया। यह प्रदूषण नियंत्रण में दिल्ली सरकार की बड़ी सफलता है।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि 2025 के सर्दियों के मौसम में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली जलाने की एक भी घटना न होना दिल्ली सरकार की प्रदूषण नियंत्रण नीति की एक महत्वपूर्ण और ठोस उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता विकास विभाग की कृषि इकाई और पर्यावरण विभाग के समन्वित प्रयासों, लगातार निगरानी और किसानों के सक्रिय सहयोग से संभव हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्दियों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट दिल्ली के लिए एक गंभीर चुनौती मानी जाती है, जिसमें पराली जलाना एक प्रमुख कारण है। इसे ध्यान में रखते हुए, दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार 'विंटर एक्शन प्लान' को सख्ती से लागू किया। इसके लिए, विकास विभाग की कृषि इकाई ने पर्यावरण विभाग के समन्वय से पराली और फसल के अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए जीरो-टॉलरेंस नीति अपनाई।

उन्होंने बताया कि 2025 में दिल्ली में लगभग 7,000 एकड़ भूमि पर धान की खेती की गई थी। इसके बावजूद, विभाग के लगातार और सुनियोजित प्रयासों के कारण, पूरे दिल्ली एनसीटी में पराली जलाने की एक भी घटना दर्ज नहीं की गई। यह उपलब्धि दर्शाती है कि सही नीतियों, कुशल कार्यान्वयन और किसानों की भागीदारी से प्रदूषण से संबंधित गंभीर चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकता है।

रेखा गुप्ता ने कहा कि 24 घंटे अभियान चलाए गए, जिसमें विकास आयुक्त शूरबीर सिंह द्वारा नियमित रूप से दैनिक समीक्षा की गई ताकि पराली या फसल के अवशेषों को जलाने से संबंधित किसी भी गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जा सके और किसी भी उल्लंघन के मामले में तत्काल कार्रवाई की जा सके।

उन्होंने आगे बताया कि विकास विभाग ने पराली जलाने से रोकने के लिए कुल 11 टीमों को तैनात किया था। इन टीमों ने पांच धान उगाने वाले जिलों उत्तर, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में गश्त की, खेतों की निगरानी की और साथ ही किसानों को पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक किया।

पराली के प्रभावी प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए, धान की कटाई के बाद खेतों में पूसा बायो-डीकंपोजर का छिड़काव किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित यह बायो-डीकंपोजर खेत में ही पराली को सड़ाने में मदद करता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता में सुधार होता है। यह सुविधा किसानों को पूरी तरह मुफ्त दी गई।

उन्होंने कहा कि किसानों की जागरूकता बढ़ाने के लिए, दिल्ली के सभी पांच धान उगाने वाले जिलों में पूसा बायो-डीकंपोजर के 97 प्रदर्शन किए गए। इसके अलावा, किसानों को स्थायी कृषि पद्धतियों और पराली जलाने के विकल्पों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु धान की पराली प्रबंधन पर 25 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए।

रेखा गुप्ता ने कहा कि लगातार निगरानी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रदर्शन, बायो-डीकंपोजर छिड़काव, कंट्रोल रूम की स्थापना और सैटेलाइट निगरानी सहित इन व्यापक उपायों के परिणामस्वरूप 2025 के सर्दियों के मौसम में दिल्ली में पराली जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली सरकार की प्रभावी नीति का एक मजबूत सबूत है, और सरकार आने वाले समय में स्वच्छ और स्वस्थ दिल्ली के लक्ष्य की ओर उसी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ती रहेगी।

--आईएएनएस

एएमटी/डीकेपी