बाल दिवस: शानदार कहानी और मंझे कलाकार, बच्चों को जरूर दिखाइए ‘धनक’ समेत ये फिल्में
मुंबई, 14 नवंबर, (आईएएनएस)। मोहम्मद रफी और आशा भोसले की आवाज में गाया ‘बूट पॉलिश’ का लोकप्रिय गाना “नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है” बच्चों के परिचय के लिए काफी है। गाने में बच्चे बताते भी हैं कि “मुट्ठी में उनकी तकदीर है।” बच्चों पर कई कमाल की फिल्में बन चुकी हैं, जिसमें कम उम्र के बड़ों ने तकदीर को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया। आज बाल दिवस के मौके पर अपने बच्चों को शानदार कहानी और कलाकारों से लिपटी फिल्में आपने अभी तक नहीं दिखाई है तो आज दिखा डालिए।
कोमल हाथ, मासूमियत से भरी बातें और मीठी जुबान वाले छोटे बच्चे न केवल मन के सच्चे होते हैं बल्कि वह इरादों के भी मजबूत होते हैं। ये बच्चे जब अपने सफर पर निकलते हैं तो फिल्म इंडस्ट्री के समंदर से कई शानदार फिल्में मोती के रूप में निकलती हैं। बच्चों पर ऐसी कई शानदार फिल्में बन चुकी हैं। इस लिस्ट में ‘तारे जमीन पर’, ‘आई एम कलाम’, ‘बम बम बोले’, ‘स्टेनली का डब्बा’, ‘धनक’ के साथ ‘इकबाल’ समेत अनगिनत फिल्में शामिल हैं।
तारे जमीन पर: "बाहर एक बेरहम दुनिया बसी है और सभी को अपने-अपने घरों में टॉपर्स और रैंकर्स उगाने हैं" इस संवाद में ही फिल्म का मर्म छुपा है। तारे जमीन पर साल 2007 में रिलीज हुई, जिसके निर्माता-निर्देशक आमिर खान थे। अमोल गुप्ता ने इसे लिखा है। फिल्म में आमिर खान, दर्शील सफारी, टिस्का चोपड़ा के साथ विपिन शर्मा अहम रोल में हैं। यह फिल्म डिस्लेक्सिया से जूझ रहे आठ साल के बच्चे की कहानी कहती है।
आई एम कलाम: 'किस्मत कुछ नहीं होती सब कर्म होता है...कलाम बोले हैं'- बड़ी मासूमियत से एक बच्चा ये बोलता है और उसी मासूम अंदाज पर केंद्रित है फिल्म आई एम कलाम। फिल्म का नील माधव पंडा ने निर्देशन किया है और स्माइल फाउंडेशन ने इसका निर्माण किया है। जो 2011 में रिलीज हुई थी। कहानी एक गरीब राजस्थानी लड़के छोटू के इर्द गिर्द घूमती है। जिसकी प्रेरणा पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम हैं। फिल्म को काफी पसंद किया गया। फिल्म को 63 वें कांस फिल्म समारोह में भी दिखाया गया था। हर्ष मायर, हसन साद, गुलशन ग्रोवर अहम रोल में थे।
धनक: सब कुछ सुंदर है डायलॉग इस फिल्म की जान है। जिसका निर्देशन नागेश कुकुनूर ने किया है। इसका निर्माण मनीष मूंदड़ा, नागेश कुकुनूर और एलाहे हिप्तूला ने किया है। फिल्म में "दमा दम मस्त कलंदर" समेत कई गानें नए अंदाज में हैं। साल 2016 में रिलीज हुई फिल्म में दो भाई-बहनों के अनूठी प्रेम कहानी को खूबसूरती से दिखाया गया है।
इकबाल: 'हर कोशिश में हो बार-बार, करे दरियाओं को पार-पार' संवाद पूरी कहानी का सार है। विपुल कश्मीर रावल द्वारा लिखित और नागेश कुकनूर इकबाल द्वारा निर्देशित इकबाल एक देखने सुनने में असमर्थ लड़के के जज्बे की दास्तां बयां करती है, जो भारत के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखता है। फिल्म में श्रेयस तलपड़े और नसीरुद्दीन शाह के साथ अन्य सितारों ने शानदार प्रदर्शन किया।
गोरू: "इच्छा तो दादी की है, म्हारी तो जिद है" जब पोता बोलता है तो पीढ़ियों के बीच प्यार की मिसाल पेश कर जाता है। यह एक चरवाहे पोते की कहानी है कि वह किन परिस्थितियों से निकलकर अपनी दादी की अंतिम इच्छा को पूरा करता है, जो शादी के बाद कभी अपने पैतृक गांव नहीं गई। फिल्म साल 2018 में रिलीज हुई थी, जिसमें ईला अरुण, ऋत्विक सोहारे के साथ नंदराम आनंदइला अरुणअशोक बांठिया समेत अन्य कमाल के कलाकार हैं। रामकिशन चोयल के निर्देशन में बनी फिल्म के लेखक भी रामकिशन चोयल और राजेश शर्मा हैं।
--आईएएनएस
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