छात्रों की मांग एकदम सही, दूसरी भी मानी जानी चाहिए: प्रमोद तिवारी
लखनऊ, 15 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रयागराज में प्रदर्शनरत छात्रों की कुछ मांगे मानने के बाद भी आंदोलन जारी है।इस पर सियासी बयानबाजी भी खूब हो रही है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “छात्रों की बातें पूरी तरह से उचित हैं। वे बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के अपनी बात रख रहे हैं। सवाल यही है कि आखिर उनकी जो डिमांड मानी गई, उसके लिए उन्हें 6 दिन तक लाठियां क्यों खानी पड़ी? जब कदम गलत था, तो सरकार क्यों 5 दिन तक अड़ी रही? मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि उनकी दूसरी मांग भी पूरी तरह से न्यायसंगत है और आरओ को लेकर जो मांग की गई है उसे तुरंत स्वीकार किया जाना चाहिए। मैं छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ पूरी तरह से खड़ा हूं।”
इसके बाद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर समाज को बांटने के आरोप का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, "मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो कहा, वह देश की आवाज है और देश के हित में है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जो कर रहे हैं, वह देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है। मैं पूरी तरह से खड़गे के बयान का समर्थन करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी आप मरने मारने की बातें क्यों कर रहे हैं? आपका काम लोगों को बचाना है। भाजपा आपके लिए बड़ी है, हमारे लिए देश सबसे बड़ा है, पार्टी नहीं।"
प्रधानमंत्री के खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनाव आयोग में शिकायत किए जाने पर उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी, आपको क्या हो गया है? आपके भाषण की शुरुआत संसद से मंगलसूत्र, कब्रिस्तान से हुई, और अब आप यहां तक पहुंच गए कि 'बंटेंगे तो कटेंगे'। अब आप विपक्ष की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखते। आप तो औरंगजेब तक की तुलना कर रहे हैं। मैं आपसे कहता हूं, अटल बिहारी वाजपेई से सीखिए, चरण सिंह से सीखिए। ये लोग अपनी भाषा की मर्यादा रखते थे, आप तो सड़क छाप भाषा बोल रहे हैं। यह भाषा एक सामान्य कार्यकर्ता की भी नहीं हो सकती। आप हार की बौखलाहट में देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि हम चुनाव आयोग गए हैं।"
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अशोक चौहान के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि "बंटेंगे तो कटेंगे" वाला नारा महाराष्ट्र में नहीं चलेगा। इस पर उन्होंने कहा, "इससे पहले भाजपा के कई नेताओं ने इस नारे का विरोध किया था। इस पर आपत्ति जताई थी कि यह नारा देश या किसी क्षेत्र में नहीं चल सकता। बहुत से सहयोगी भी इस नारे से असहमत हैं, जैसे चौहान साहब, जो पूर्व मुख्यमंत्री हैं, या पवार साहब, जो वर्तमान में डिप्टी मुख्यमंत्री हैं। ये सभी जानते हैं कि यह नारा देश में नहीं चल सकता, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कहां रुक रहे हैं?"
--आईएएनएस
पीएसएम/केआर