राजस्थान में शीतला अष्टमी पर अनोखी परंपरा! यहां खुशी नहीं बल्कि रहता शोक का माहौल, कारण जान उड़ जाएंगे आपके होश

नागौर न्यूज़ डेस्क - बासौड़ा व्रत राजस्थान, दिल्ली, यूपी और हरियाणा के आसपास के इलाकों समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। लेकिन राजस्थान में एक जिला ऐसा भी है जहां इस दिन शोक मनाया जाता है। दरअसल, 18वीं शताब्दी में इसी तिथि को प्रदेश के नागौर जिले के राजा अमर सिंह राठौड़ का निधन हुआ था। तब से यहां इस दिन शीतला सप्तमी पूजा नहीं की जाती है। पूरे नागौर में इस दिन शोक मनाया जाता है। यहां की ऐतिहासिक परंपरा आज भी कायम है। पूरे प्रदेश में यह पर्व सप्तमी को मनाया जाता है, लेकिन नागौर में इसे अष्टमी को मनाया जाता है।
नागौर राजघराने के राजा का हुआ था निधन
विश्व हिंदू परिषद धार्मिक आयोजन समिति के अध्यक्ष पुखराज सांखला ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राजा-महाराजाओं के समय से कई रीति-रिवाज चले आ रहे हैं। प्राचीन इतिहास में नागौर राजघराना जोधपुर राजघराने के अधीन था। जिसमें सप्तमी के अवसर पर घटी एक अशुभ घटना में राजघराने के राजा अमर सिंह राठौड़ की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण नागौर में अष्टमी को पूजा की जाती है।
सप्तमी को ही बनाया जाता है बासी भोजन
इस दिन लोगों में पूजा से एक दिन पहले बासी भोजन बनाने की परंपरा है। इसलिए सप्तमी के दिन ही ऐसा भोजन बनाया जाता है, जो खराब न हो और एक दिन बाद यानी अष्टमी को खाया जाए। राजस्थान में अधिकांश स्थानों पर सप्तमी के दिन बासौड़ा की पूजा की जाती है।
अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है
इस अवसर पर नागौर में सप्तमी के दिन मठरी, त्रिकुटा सब्जी, सूखी सब्जी, पापड़ी, पूरी आदि कई दिनों तक खराब न होने वाले खाद्य पदार्थ और व्यंजन हर घर में बनाए जाते हैं और शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को सुबह-सुबह ठंडा भोजन अर्पित किया जाता है।
बासी खाना बनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण
शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना (पुराना या ठंडा खाना) खाने की परंपरा है, जिसे स्वास्थ्य के आधार पर भी समझा जा सकता है। यह परंपरा मुख्य रूप से मौसमी बदलाव और स्वास्थ्य से जुड़ी है। शीतला अष्टमी गर्मी के मौसम की शुरुआत में मनाई जाती है, जब तापमान बढ़ने लगता है। इस समय बासी खाना खाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण हैं जैसे:
पाचन तंत्र को आराम देना: गर्मी के मौसम में पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। बासी खाना हल्का और आसानी से पचने वाला होता है, जिससे पाचन तंत्र पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता।
ऊर्जा बनाए रखता है: गर्मी के दिनों में शरीर को ठंडक और आराम की जरूरत होती है। बासी खाना खाने पर शरीर को ज्यादा ऊर्जा खर्च नहीं करनी पड़ती, जो गर्मी के मौसम में फायदेमंद हो सकता है।
मौसमी बदलावों के अनुकूल होना: यह परंपरा शरीर को मौसमी बदलावों के अनुकूल होने में मदद करती है। गर्मी के मौसम में ताजा और गर्म खाने की बजाय ठंडा और हल्का खाना शरीर के लिए बेहतर होता है।