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नागौर श्रम विभाग में लंबे समय से चल रहा दलाली का खेल उजागर, मजदूरों की योजनाओं पर डाला जा रहा ‘कट’

 
नागौर श्रम विभाग में लंबे समय से चल रहा दलाली का खेल उजागर, मजदूरों की योजनाओं पर डाला जा रहा ‘कट’

राजस्थान के नागौर जिले के श्रम विभाग में लंबे समय से भ्रष्टाचार और दलाली का खेल जारी है। मजदूरों के हक से जुड़ी सरकारी योजनाओं—जैसे छात्रवृत्ति, मज़दूर कार्ड जारी करना, कार्ड का रिन्युअल, और विभिन्न वित्तीय लाभ—में कथित रूप से बिचौलियों की सक्रियता बढ़ती जा रही है। मजदूरों का आरोप है कि विभागीय प्रक्रियाओं में अनावश्यक देरी और जटिलता पैदा कर दलालों के लिए रास्ता तैयार किया जाता है, जो बदले में मजदूरों से मनमानी राशि वसूलते हैं।

पीड़ितों का कहना है कि श्रम विभाग की कई योजनाओं का उद्देश्य मजदूरों को आर्थिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन बीच में मौजूद दलाल इन लाभों तक पहुंचने में सबसे बड़ी बाधा बन गए हैं। मजदूरों को कार्ड बनवाने और रिन्युअल के लिए 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक वसूले जाने की शिकायतें सामने आई हैं। छात्रवृत्ति आवेदन और योजना लाभ के लिए भी मजदूरों से “प्रोसेसिंग फीस” के नाम पर पैसा लेने की बात सामने आ रही है।

स्थानीय मजदूरों का आरोप है कि वे जब सीधे श्रम विभाग कार्यालय पहुंचकर काम करवाना चाहते हैं, तो कर्मचारियों द्वारा फॉर्म की कमी, सिस्टम खराब होना, अधिकारी के नहीं मिलने जैसी वजहें बताकर उन्हें वापस भेज दिया जाता है। बाद में वही काम बाहर बैठे दलालों के माध्यम से तुरन्त करा दिया जाता है—लेकिन अतिरिक्त रकम लेकर।

मजदूर संघों ने भी इस मामले पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह स्थिति लंबे समय से चली आ रही है और गरीब मजदूर अपने ही अधिकारों के लिए घूस देने को मजबूर हैं। मजदूर प्रतिनिधियों का कहना है कि विभाग में पारदर्शिता की कमी और निगरानी की कमजोर व्यवस्था ने दलालों के नेटवर्क को मजबूत कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, श्रम विभाग में बड़ी संख्या में आवेदन लंबित पड़े रहते हैं, जिससे मजदूरों को योजनाओं का समय पर लाभ नहीं मिल पाता। यह देरी अक्सर दलालों को सक्रिय कर देती है, जो “काम जल्दी करवाने” का वादा कर पैसा वसूलते हैं। कई लाभार्थियों ने बताया कि छात्रवृत्ति की राशि तक पहुंचाने के लिए भी उनसे कट राशि की मांग की जाती है।

इधर, मामला उठने के बाद जिले में प्रशासनिक हलचल बढ़ गई है। श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसे मामले सामने आए हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने मजदूरों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की अवैध वसूली या दलाली की शिकायत सीधे जिला कार्यालय या हेल्पलाइन पर दर्ज कराएं।

बावजूद इसके, स्थानीय मजदूर संगठन मानते हैं कि केवल सख़्त कार्रवाई और डिजिटल पारदर्शिता बढ़ाकर ही इस समस्या को खत्म किया जा सकता है। जब तक प्रक्रिया सरल और ऑनलाइन नहीं होगी, तब तक दलाली का यह नेटवर्क मजदूरों के हक को चोट पहुंचाता रहेगा।