Nagaur टोल ठेकेदारों का ध्यान सिर्फ वसूली पर, सुविधाओं की अनदेखी
सरकार को भी लगाते हैं चूना: ऐसा भी जानकारी में आया है कि डीपीआर बनाते समय टोल की जगह फिक्स नहीं करते हैं, फिर बोलते हैं कि रेवेन्यू लोस होता है। सूत्रों के अनुसार धरातल पर हकीकत यह है कि सरकार को अंधेरे में रखने के लिए टोल वाले एक्सट्रा मशीन रखते हैं, जिससे रात को नकली पर्ची काटते हैं। ठेकेदार ठेका भी पिछले साल के डाटा के आधार पर लेते हैं, इसलिए कागजों में कम टोल वसूली बताकर अधिक वसूलते हैं। उदाहरण के लिए 24 घंटे में 2 लाख की टोल वसूली बताते हैं, जबकि वास्तव में वसूली 3 लाख तक होती है। इससे सरकार को भी नुकसान होता है।
टॉयलेट पर रखते हैं ताला
टोल पर टॉयलेट सुचारू नहीं रखते, न ही पीने का पानी, रिलेक्टर लगाने की सुविधा भी नही रखते हैं। नियमानुसार सड़क से पशुओं को हटाने की जिमेदारी भी टोल संचालक की होती है, लेकिन वे ऐसा नहीं करते। कंट्रोल रूम के 1033 नबर भी चालू नहीं रखते। न ही उसमें कोई नियमित बैठता है। नियमानुसार सातों दिन 24 घंटे कंट्रोल रूप में एक व्यक्ति की ड्यूटी लगनी चाहिए। कई जगह तो कंट्रोल रूप को अवैध रूप से मयखाना बनाकर रखते हैं।
कलक्टर के आदेशों की अवहेलना
टोल से गुजरने वाले बिना हेलमेट, बस/पिकअप की छत पर बैठे लोगों का ई-चालान बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरा से रोजाना शाम को पुलिस के अभय कमांड को 5 फोटो भेजने के लिए गत वर्ष कलक्टर ने आदेश दिए थे। लेकिन टोल संचालकों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
कमेटी गठित करेंगे
टोल नाकों पर नियमानुसार सुविधाएं जुटाने व टोल कार्मिकों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाने के लिए मैंने 4 सितबर को एनएच के एक्सईएन के साथ बैठक की है। जल्द ही एनएच एक्सईएन, पुलिस उपाधीक्षक, परिवहन विभाग के निरीक्षक आदि को शामिल करते हुए एक कमेटी बनाएंगे, जो महीने में एक या दो बार तीनों टोल मैनेजर के साथ बैठक करेंगे और यह जांच करेंगे कि टोल नाकों पर नियमानुसार सुविधाएं हैं या नहीं। साथ ही पुलिस वेरिफिकेशन के हिसाब से कार्मिक लगे हैं या कोई और।