Nagaur राज्यकर विभाग की मेहरबानी से सरकार को उसके ही अधिकारी लगा रहे राजस्व का चूना
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर राज्यकर की बेपरवाही से अजमेर संभाग में अब राजस्व नुकसान का आंकड़ा बढऩे लगा है। पड़ताल में सामने आया कि अकेले नागौर जिले में ही पान मसाले के उत्पादों कि रोजाना तकरीबन 200 गाडिय़ों का परिवहन होता है। इस तरह से पूरे संभाग में पान मसाला उत्पादों का परिवहन करने वाले वाहनों की संख्या चार से पांच गुना ज्यादा बढ़ जाती है। जबकि इनमें से कार्रवाई एक पर भी नहीं की जाती है। हालांकि खानापूर्ति के लिए यदा-कदा गाडिय़ों की जांच कर इतिश्री कर ली जाती है। जीएसटी के खेल में कथित रूप से मिलीभगत के खेल में रोजाना करोड़ों का राजस्व का नुकसान सरकार को पहुंच रहा है।
राजस्व का सर्वाधिक नुकसान विशेषकर पान मसाला उत्पादों में हो रहा है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है पिछले चार से पांच वर्षों के अंतराल में कार्रवाइयों की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुंची। यदि इसमें गुटका, ज्वेलरी, सीमेंट एवं आयरन उत्पादों के मामले जोड़ दिए जाएं तो इस पर राजस्व नुकसान का आंकड़ा दो से तीन गुना ज्यादा बढ़ जाता है। भारी भरकम राजस्व नुकसान होने के बाद भी राज्य कर विभाग के अधिकारियों की नजर में ऑल इज वेल है। इससे समझा जा सकता है कि जिम्मेदारों की संलिप्तता के चलते राजस्व नुकसान की स्थिति कितनी विकट हो गई है।
अजमेर संभाग में नागौर, मेड़ता, मकराना, किशनगढ़ एवं अजमेर जिला आता है। इनमें कुछ सीटीओ से बातचीत हुई तो पता चला कि उनको कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं है। सर्वे या रुटीन जांच के लिए भी अजमेर डीसी से अनुमति लेनी पड़ती है। अब स्थिति यह है कि विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्यकर की ओर से पिछले चार से पांच सालों के के अंतराल में कार्रवाइयों की स्थिति औसत से भी कमतर रही। आंकड़ों की बाजीगिरी में माहिर अधिकारियों के पास पिछले साल में कितनी क्या कार्रवाइयां विभाग की ओर से की गई है, इसका जवाब नहीं मिल पाया। अजमेर डीसी रामकुमार कस्वा इस मामले में बातचीत करने से बचते रहे। इससे राज्यकर के अधिकारियों की कार्यशैली एवं नीयत का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है।