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Nagaur राजस्थानी भाषा एवं साहित्य राजस्थानियों की असली पहचान

 
Nagaur राजस्थानी भाषा एवं साहित्य राजस्थानियों की असली पहचान

नागौर न्यूज़ डेस्क, जिले के डेह कस्बे के कुंजल माता मंदिर परिसर में रविवार को प्रदेश स्तरीय राजस्थानी साहित्यकार सम्मान एवं पोथी लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा नेम प्रकाशन, डेह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सालाना जलसे में 29 साहित्यकारों को अलग-अलग विधाओं में लेखन, भाषा एवं संस्कृति के क्षेत्र में की गई उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष पवन पहाड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में नागौर एवं आस पास के क्षेत्रों से मायड़भाषा के हितैषीजनों ने शिरकत की। प्रदेशभर के करीब 50 ख्यातनाम कलमकार उपस्थित रहे।

आयोजन समिति के सदस्य डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ ने बताया कि समारोह में कुल 29 कलमकारों को पुरस्कृत किया गया, जिसमे जोधपुर के प्रो. हजूर खां मेहर को रूपचंद समदड़िया राजस्थानी भाषा सेवा शिखर सम्मान के तहत 51 हजार की नकद राशि तथा अन्य सभी साहित्यकारों को ग्यारह-ग्यारह हजार की राशि एवं श्रीफल, शॉल, साफा, अभिनन्दन पत्र एवं साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह की मुख्य अतिथि राज्य मंत्री डॉ. मंजू बाघमार ने राजस्थानी भाषा एवं साहित्य को राजस्थान वासियों की असली पहचान बताया। डॉ. बाघमार ने भाषा एवं साहित्य को संस्कृति का पोषक बताते हुए नई शिक्षा नीति 2020 में मातृ भाषा शिक्षण पर बल देने को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अब केंद्र में सक्षम एवं भारतीय भाषाओं की समर्थक सरकार है, उससे राजस्थानी को मान्यता देने की आशा प्रबल होती है। उन्होंने राज्य सरकार के स्तर पर राजस्थानी भाषा के संवर्द्धन एवं विकास के लिए सदैव सकारात्मक सहयोग करने का विश्वास दिलाया।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की ओर से भेजे गए ऑडियो को सुनाया गया, जिसमें दिलावर ने डेह के मायड़ भाषा सम्मान समारोह को साहित्य सेवा का उत्कृष्ट कार्य बताया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पुलिस जबाबदेही आयोग के अध्यक्ष एच.आर. कुड़ी ने राजस्थानी भाषा मान्यता के मार्ग की अड़चनों पर विचार व्यक्त करते हुए इसे जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो. जहूर खां मेहर ने राजस्थानी साहित्य लेखन की वर्तमान दशा एवं दिशा की व्याख्या करते हुए कहा कि साहित्यकार अपना काम बहुत उम्दा ढंग से कर रहे हैं।

विशिष्ट साहित्यकार पृथ्वीराज रतनू ने राजस्थानी के मूल स्वरूप डिंगल साहित्य एवं उसकी परंपरा से आज की राजस्थानी तक की विकास यात्रा को समेटते हुए वर्तमान में राजस्थानी लेखन की मजबूती को उजागर किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एक्सईएन जे.के. चारण ने सरस्वती वंदना से किया। राजस्थानी वाणी वंदना डॉ. गजादान चारण ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के समन्वयक लक्ष्मणदान कविया ने स्वागत भाषण दिया। आयोजन सचिव पवन पहाड़िया ने पुरस्कार समारोह के डेढ़ दशक की विकास यात्रा प्रस्तुत की। इस मौके पर पंचायत समिति सदस्य जेठूसिंह चौहान, सरपंच रणवीरसिंह उदावत तथा डॉ. रामरतन लटियाल ने भी विचार व्यक्त किए। सुखदेव सिंह गाडण ने आभार जताया। कार्यक्रम में राजस्थान की स्वर कोकिला सीमा मिश्रा ने राजस्थानी गीतों की सरस प्रस्तुतियां दी। साथ ही सत्यपाल सांदू व प्रह्लाद सिंह झोरड़ा ने काव्यगीत प्रस्तुत किए।