Nagaur ढाई साल बाद भी नहीं बदले हालात, नहीं मिला एक पैसा भी मुआवजा
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डेयरी के तत्कालीन एमडी मदनलाल बागड़ी ने नवंबर 2021 को कोतवाली थाने में यह मामला दर्ज कराया। इसमें ठेकेदार रामचंद्र चौधरी, लीला ट्रेडर्स के मालाराम, विजय चौधरी, रामनिवास चौधरी और राजूराम को धोखाधड़ी व गबन का आरोपी बनाया गया था। इसमें गत अगस्त को राजूराम को छोड़कर शेष चारों को गिरफ्तार कर लिया गया। राजूराम ने अपने कागज देकर हिसाब मिलान करने को कहा, तत्कालीन जांच अधिकारी सीओ ओमप्रकाश गोदारा ने पाया कि राजूराम के दस्तावेज बताते हैं कि उस पर डेयरी का कोई बकाया नहीं।
बेनतीजा रही अब तक की कोशिश
सूत्रों का कहना है कि छह-सात करोड़ का घपला ब्याज समेत अब बारह करोड़ से अधिक हो गया। ना आरोपी दोषी साबित हो पाए ना ही इस गड़बड़ी का कोई और सूत्रधार निकला। जांच चलती रही पर डेयरी की ना घाटे की भरपाई हुई ना ही दोषियों से वसूली। और तो और यह भी पता नहीं चला कि इन ठेकेदारों को डेयरी के किस कर्मचारी की मिलीभगत से उधार माल मिलता रहा वो भी लगातार। दूध परिवहन की गाड़ी को एक-दो दिन से अधिक उधार देने का नियम ही नहीं तो यह दो साल तक कैसे चला? यह कारण किसी के समझ ही नहीं आया। इन पांचों ठेकेदारों ने आंखों में धूल झोंककर कोरोना काल में नागौर डेयरी को आराम से चपत लगाई।
राजनीतिक दबाव या फिर कुछ और..
सूत्रों का कहना है कि मामला दर्ज होने के बाद से यह मामला अजीबोगरीब रफ्तार से चला। बार-बार जहां डेयरी के एमडी बदले वहीं आरोपी ठेकेदार हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक का आदेश ले आए। बाद में डेयरी की ओर से वकील की पैरवी के बाद गिरफ्तारी से रोक हटी तो पांच में से चार को गिरफ्तार किया गया। बीच-बीच में बातचीत के तहत समझौते की पहल भी हुई पर आरोपियों ने कोई दिलचस्पी नहीं ली। यह भी बताया जाता है कि राजनीतिक दबाव भी मामले को सुस्त कर दिशा बदलता रहा। हालात वही हैं, ढाई साल पहले वाले। पांच में से चार आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, ना दोषियों से वसूली हो पाई ना ही मिलीभगत का सूत्रधार पकड़ में आया।