Aapka Rajasthan

Nagaur कोई रिश्तेदार न होते हुए भी रिश्तेदार बनकर 135 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया

 
Nagaur कोई रिश्तेदार न होते हुए भी रिश्तेदार बनकर 135 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया

नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर तर्पण करवाते अनिल थानवी। नागौर कहते हैं कि इंसानियत का कोई मोल नहीं होता, जहां जिंदा इंसानों के लिए किसी को सोचने की फुर्सत नहीं, वहीं कोई किसी मरे हुए व्यक्ति को अपना बना ले, यह काम मेड़ता सिटी के अनिल थानवी बखूबी कर रहे हैं। थानवी ने अब तक 135 से अधिक लावारिस व्यक्तियों का अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करवाया है। उन्होंने पांच मुस्लिम और 130 हिंदुओं के लावारिस शवों का धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया है।

जिले में प्रत्येक थाने में थानवी के नंबर हैं, कहीं कोई अज्ञात शव मिलता है तो थानवी को याद किया जाता है। वे वहां पहुंचकर धर्म के अनुसार एक रिश्तेदार की भांति अंतिम संस्कार करते हैं और अस्थियों को भी हरिद्वार में ले जाकर गंगाजी में अपने पंडित के साथ बैठकर उनका तर्पण करवाते हैं, ताकि उस व्यक्ति का मोक्ष हो सके। थानवी पिछले 20 वर्षों से यह काम कर रहे हैं। पेशे से एडवोकेट और मेड़ता नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन रह चुके अनिल थावनी बताते हैं कि यह कार्य उन्हें आत्म संतुष्टि देता है। गरुड़ पुराण में भी लिखा है कि किसी भी व्यक्ति का अगर रिश्तेदार नहीं है तो ब्राह्मण का दायित्व है कि वह यह कार्य करे। अंतिम संस्कार के बाद हरिद्वार में गंगाजी में अस्थियां प्रवाहित कर श्राद्ध तर्पण भी करता हूं।

पुराणों में लिखा है कि गयाजी में पिंडदान से मोक्ष मिलता है तो वहां जाकर भी मैंने इन सभी अज्ञात व्यक्तियों का पिंडदान करवाया। अब इन सभी मृत आत्माओं के लिए मेड़ता शहर में आने वाले दिनों में भागवत कथा करवाएंगे। मेड़ता के थानवी द्वारा वर्ष 2001 से अनाथ/लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। थानवी बताते हैं कि जब वे एक केस के सिलसिले में में चेन्नई गए थे तो मेड़ता का व्यक्ति चेन्नई में काम करता था। वहां पर उसकी मृत्यु हो जाने पर पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके चलते घरवालों को बेटे का शव नहीं मिला। तब उन्होंने निश्चय किया कि ऐसे शवों को रिश्तेदार बन खुद अंतिम संस्कार करेंगे।