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‘जमीन लेकर मारने से अच्छा, सरकार मिलिट्री से मरवा दे’—नागौर में RSMML के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का उग्र प्रदर्शन

 
‘जमीन लेकर मारने से अच्छा, सरकार मिलिट्री से मरवा दे’—नागौर में RSMML के भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का उग्र प्रदर्शन

राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड (RSMML) द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के विरोध में नागौर जिले में किसानों का आक्रोश गुरुवार को सड़कों पर उतर आया। बड़ी संख्या में किसान एकत्र होकर प्रदर्शन पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान किसानों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था—“जमीन लेकर मारने से अच्छा, सरकार मिलिट्री से मरवा दे”। यह नारा किसानों की पीड़ा और आक्रोश को स्पष्ट रूप से दर्शाता नजर आया।

किसानों का कहना है कि RSMML द्वारा खनन गतिविधियों के लिए उनकी उपजाऊ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा संकट खड़ा हो गया है। प्रदर्शनकारी किसानों का आरोप है कि बिना उनकी सहमति और पर्याप्त संवाद के अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। उनका कहना है कि खेती ही उनके परिवारों के जीवनयापन का एकमात्र साधन है और जमीन छिनने का मतलब उनके लिए बेरोजगारी और विस्थापन है।

प्रदर्शन में शामिल किसानों ने सरकार से मांग की कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए और वैकल्पिक समाधान तलाशे जाएं। किसानों का कहना है कि यदि खनन जरूरी है तो सरकार बंजर भूमि का चयन करे या प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार की ठोस गारंटी दे। उनका यह भी आरोप है कि पहले हुए खनन कार्यों से क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है, जिससे खेती और जल स्रोत प्रभावित हुए हैं।

प्रदर्शन के दौरान माहौल तनावपूर्ण रहा, हालांकि प्रशासन की ओर से मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे। किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बातचीत के प्रयास भी किए गए, लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका था।

किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल जमीन की नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व की है। नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार की नीतियां लगातार किसानों के हितों के खिलाफ जा रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष बढ़ रहा है।