नगर परिषद में भ्रष्टाचार का साम्राज्य: ACB की कार्रवाई में सामने आया रिश्वत का रैकेट, लाखों में तय हुई डील

राजस्थान के अलग-अलग जिलों में भ्रष्टाचार का खेल जारी है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई के बावजूद भ्रष्टाचार के नए मामले सामने आ रहे हैं। नया मामला नागौर नगर परिषद से आया है। जहां एसीबी की टीम ने नगर परिषद के सहायक नगर नियोजक (एटीपी) को 4 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रैप किया। वहीं इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है कि नगर परिषद में अलग-अलग टेबल पर फाइल को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत की डील होती है। ताजा मामले में वेयरहाउस की परमिशन देने की एवज में 20 लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई। जिसमें से 5 लाख रुपए सहायक नगर नियोजक कौशल कुमावत ने मांगे। डील 4 लाख रुपए में फाइनल हुई। लेकिन एसीबी ने कौशल कुमावत को रिश्वत की रकम के साथ रंगे हाथों ट्रैप कर लिया।
सत्यापन के दौरान 4 लाख रुपए में हुआ सौदा
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि एसीबी चौकी नागौर को शिकायत मिली थी कि परिवादी रामगोपाल के भतीजे से पंजीकृत गोदाम एवं कोल्ड स्टोरेज में तकनीकी रिपोर्ट को सकारात्मक बनाने की एवज में 5,00,000 रुपए की रिश्वत मांग कर परेशान किया जा रहा है, जिस पर 1 जुलाई को रिश्वत की मांग का सत्यापन किया गया, जिसमें आरोपी ने 5,00,000 रुपए की रिश्वत मांगी तथा 4,00,000 रुपए की रिश्वत लेना तय हुआ। इसके बाद एसीबी टीम ने ट्रैप कार्रवाई के लिए जाल बिछाया। इसके तहत सहायक नगर नियोजक कौशल कुमावत को 4 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया, जिसमें 20,000 रुपए असली नोट तथा 3.80 लाख रुपए भारतीय मनोरंजन बैंक के थे।
एसीबी अब अन्य अधिकारियों का सत्यापन करेगी
नगर परिषद में भ्रष्टाचार को लेकर परिवादी ने बताया है कि 5 लाख रुपए के अलावा अन्य कर्मचारियों ने अलग-अलग स्तर पर उससे 15 लाख रुपए की मांग की थी। जिसमें 5 लाख कौशल को दिए जाने थे। इस मामले में जब सहायक नगर नियोजक से पूछताछ की गई तो उन्होंने शिकायतकर्ता द्वारा 20 लाख रुपए मांगने के आरोप पर कहा कि मेरी रिपोर्ट के बाद फाइल आगे बढ़ती है। लेकिन उसके बाद कौन क्या लेता है, मुझे नहीं पता। इस बयान के बाद एसीबी ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। अब सत्यापन के बाद रिश्वत के खेल में शामिल सभी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।