Nagaur संखवास में कुत्ते पाल रहे डॉक्टर, कमरों में भरा कबाड़
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर जिलेभर में चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। डॉक्टरों का जब मन करता है तब ड्यूटी पर पहुंचते है और जब मन हो घर चले जाते है। मरीजों को चिकित्सा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है मगर सुनने वाला कोई नहीं। उच्चाधिकारी बैठकों में निर्देश देते है मगर धरातल पर व्यवस्था में सुधार नहीं कर पा रहे है। जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। चिकित्सा सुविधा के नाम पर सरकार योजनाएं चलाते हुए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। लेकिन जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल की अव्यवस्था के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सा केंद्रों पर भी जमकर मनमर्जी की जा रही है। गांवों के चिकित्सा केंद्रों पर डॉक्टर व नर्सें समय पर पहुंचते भी नहीं है। अगर कहीं पहुंचते भी है तो सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है। इसको लेकर दो दिन तक टीम ने क्षेत्र के 16 चिकित्सा केंद्रों के हालात जाने। सामने आया कि 13 अस्पतालों के ताला लगा है। जिनमें 3 ऐसे थे, जो कई महीनों से नहीं खुले।
लेकिन जिम्मेदार इस पर चुप्पी साधे हुए है। ग्रामीण क्षेत्र में खोले गए ये चिकित्सा केंद्र लोगों के काम नहीं आ रहे है। लोगों ने बताया कि हर ग्राम पंचायत में चिकित्सा केंद्र बने है। यहां डॉक्टरों और नर्सों की ड्यूटियां भी लगाई हुई है लेकिन कभी-कभार दर्शन देने ही आते है। आपात स्थिति होती है तो नागौर या खींवसर और गंभीर मामले में जोधपुर रेफर हो रहे है। गांवों में बने इन चिकित्सा केंद्रों के नहीं खुलने से प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है। संखवास के स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे तो यहां एक कमरे में कचरा व कबाड़ पड़ा मिला। बड़े-बड़े मच्छरों का डेरा जमा हुआ था। वहीं, एक कमरे में श्वान सो रहा था। डॉक्टर सुरेश आंचरा ने बताया कि मादा श्वान गर्भवती है। बाहर धूप है इसलिए यहां सुला दिया, बेचारा जानवर कहां जाएगा। व्यवस्था के नाम पर बताया यहां तो स्टाफ की कमी है। छह नर्सिंग ऑफिसर व तीन डॉक्टरों के पद खाली है। सैनणी व हिलोड़ी के स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला था। ग्रामीणों को पूछने पर बताया कि यहां नर्स आती तो है लेकिन जल्दी ही वापस चली जाती है। आज भी किसी काम से चली गई होगी।
वहीं, हिलोड़ी में तो ताले पर भी रेत जमी हुई मिली।टीम ने भाकरोद, लालाप, शीलगांव, असावरी, ग्वालू सहित 16 जगहों पर चिकित्सा केंद्रों पर विजिट किया तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। इस दौरान सफाई सुचारु नहीं मिली। कई जगहों पर रेत जमी मिली तो कई जगहों पर पॉलिथीन की थैलियां उड़ रही थी। खरनाल में ताला लगा मिला। ताश खेल रहे लोगों ने कहा अभी निकले ही है। लेकिन वापस नहीं लौटे। इसके बाद टीम मुंदियाड़ बस स्टैण्ड पर पहुंचे, यहां चिकित्सा केंद्र पिछले दो माह से बंद पड़ा है। अरापा जिलाध्यक्ष हनुमान खोजा ने बताया कि 45 दिन से अधिक समय हो गया है। चिकित्सा व्यवस्था ठप्प है, नर्स कभी कभार आती थी। पिछले 45 दिन से कोई डॉक्टर व नर्स नहीं आए।
