Nagaur बाजार में कैर की कीमत दो हजार रुपए किलो, विदेशों में मांग
खासकर मारवाड़ (पश्चिमी राजस्थान) क्षेत्र में बहुतायात में होने वाले कैर-सांगरी शुद्धता के साथ शत-प्रतिशत जैविक होने के कारण इनकी मांग स्थानीय के साथ विदेशों में भी बढ़ने लगी है। मारवाड़ी सूखा साग के व्यापारियों का कहना है कि शीतला सप्तमी व अष्टमी पर सूखे कैर-सांगरी की मांग काफी रहती है। घर में बनाए जाने वाले ठंडे भोजन के साथ बनने वाले पंचकूटे में इनका उपयोग होने से बाजार में इसके भाव आसमान छूने लगे हैं। पंचकूटा के साग में सूखे कैर-सांगरी, कुम्मट (कुमटिया), काचरे, साबूत अमचूर, सूखे मेवे डाले जाते हैं। मारवाड़ में काजू-बादाम सस्ते व कैर-सांगरी इनसे महंगे मिल रहे हैं। ऐसे में मारवाड़ी सूखा साग इन दिनों काजू बादाम के भाव को भी मात दे रहा है। कैर-सांगरी मारवाड़ की ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती नहीं होती। कैर की झाड़ियां ओरण एवं अंगोर में स्वत: उगती है तो खेजड़ी के पेड़ भी खेतों में बुजुर्गों के बचाए हुए हैं। इस बार कैर की झाड़ियां हो या फिर खेजड़ियां , फूलों से लदकद हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि कैर और सांगरी दोनों का उत्पादन अच्छा होगा।
विदेशों में काफी मांग
मारवाड़ में बड़ी मात्रा में होने वाले कैर-सांगरी की विदेशों में काफी मांग है। इसकी सब्जी बनाने के साथ अचार के भी काम आती है। ऐसे में खाने में स्वादिष्ट व कई दिनों तक खराब नहीं होने के कारण विदेशों व सितारा होटलों में भी इसकी खास डिमांड रहती है। मारवाड़ी परिवारों के लिए यह एक खास व्यंजन हैं।
ये हैं सूखे साग के भाव प्रतिकिलो
सूखे कैर : 1200-2000 रुपए तक
सूखी सांगरी : 600-900 रुपए तक
कुमटिया : 140 से 180 रुपए तक
काचरी : 180 से 220 रुपए तक
गुंदा : 300 से 450 रुपए तक
गीला कैर : 150 से 250 रुपए तक
मेवों के भाव प्रतिकिलो
काजू : 600 से 1000 रुपए तक
बादाम : 600 - 1800 रुपए तक
किशमिश : 300 रुपए
दाख : 350 रुपए