Nagaur खींवसर में बनेगा एशिया का सबसे बड़ा लाइम प्लांट
प्लांट पर अगले वर्ष से उत्पादन शुरू होगा। इसमें प्रथम फेज में करीब 600 टन प्रतिदिन क्विक लाइम उत्पादन होगा, वहीं द्वितीय फेज में एक हजार टन से अधिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। यहां करीब 150 बीघा भूमि पर 15 मेगावाट का सौलर प्लांट भी बनेगा। भू गर्भ विशेषज्ञों के अनुसार कैमेस्ट्री ग्रेड का लाइम स्टोन पूरे भारत में केवल खींवसर में ही पाया जाता है। प्रोजेक्ट को लेकर कपनी के कार्यकारी अधिकारी आदिसाक लोजुन सहित सीएमएएन की पूरी टीम ने गुरुवार को खींवसर फोर्ट पहुंचकर खींवसर माइन कॉर्पोरेशन पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान चैयरमेन धनन्जयसिंह खींवसर ने बताया कि वो लाइम स्टोन की दशा का अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बदलाव लाएंगें तथा पर्यावरण का विशेष ध्यान रखते हुए क्षेत्र के किसानों को भी इसका पूरा लाभ पहुंचाएंगे। धनन्जयसिंह ने बताया कि सीएमएएन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा चूना उत्पादक है।
तेजी से शहरीकरण, 28 साल की औसत आयु वाली युवा आबादी और 400 मिलियन भारतीयों को कौशल प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से अनिवार्य शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के कारण अगले 20 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 6 से 8 प्रतिशत सालाना के बीच बढऩे की उमीद है। लोहा और इस्पात, सीमेंट, रियल एस्टेट, चीनी, कागज, ऑटोमोबाइल और सूचना प्रौद्योगिकी सहित प्रमुख उद्योग तेजी से बढ़ेंगे और परिणामस्वरूप, चूने की मांग में काफी वृद्धि होगी, क्योंकि यह कई प्रमुख उद्योगों में एक प्रमुख कच्चा माल है। आदिसाक लोजुन ने बताया कि भारत के 70 प्रतिशत से अधिक चूना पत्थर भंडार राजस्थान में स्थित होने के कारण, राजस्थान राज्य में एक आधुनिक चूना संयंत्र विकसित करना श्रेष्ठ है। राजस्थान बुझे हुए चूने और हाइड्रेटेड चूने के उत्पादन और वितरण के लिए घरेलू बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खींवसर कई पीढिय़ों से भारत में चूना उत्पादन का केंद्र रहा है। केएमसी का पहला चूना संयंत्र खींवसर को भारत के अग्रणी चूना उत्पादन केंद्रों में मजबूत करेगा। केएमसी का दीर्घकालिक लक्ष्य कम से कम 500,000 टन वार्षिक चूना उत्पादन क्षमता विकसित करना है।
