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Nagaur हर साल जिले में लगभग चार सौ कैंसर रोगी की होती पहचान

 
Nagaur  हर साल जिले में लगभग चार सौ कैंसर रोगी की होती पहचान
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर  रोग भले ही कैंसर हो पर इलाज के लिए अब भी अंधविश्वास का सहारा लिया जा रहा है। नागौर (डीडवाना-कुचामन) में हर माह औसतन 15 रोगी कैंसर के मिल रहे हैं। समय पर रोग की पहचान हो जाए और नियमित इलाज पर ध्यान दिया जाए तो कैंसर रोगी भी आम आदमी की तरह जिंदगी जी सकते हैं।चार जनवरी को विश्व कैंसर दिवस है। कैंसर रोगियों की संया बढ़ रही है, पिछले पांच साल में यह दोगुना से भी अधिक हो गई है। सबसे दु:खद बात यह है कि केवल 33 फीसदी रोगियों की पहचान समय पर हो जाती है, शेष की पहचान दूसरे अथवा तीसरे चरण में होती है। ऐसे में रोग घातक हो जाता है और रोगी को बचा पाना मुश्किल होता है। इसका भी सबसे बड़ा कारण यह है कि रोगी समय पर चिकित्सक तक पहुंचता ही नहीं है।

सूत्रों का कहना है कि पिछले पांच साल में करीब दो हजार से अधिक कैंसर रोगियों की पहचान हुई है। जेएलएन अस्पताल में विभिन्न जांचों के बाद पहचाने गए इन कैंसर रोगियों में महिलाएं भी उतनी ही रहीं जितने पुरुष थे। चिकित्सक बताते हैं कि परामर्श के दौरान यह भी सामने आया कि पचास फीसदी से अधिक रोगी अथवा उनके परिजन इलाज के साथ टोने/टोटके अथवा अन्य अंधविश्वास भी स्वस्थ होने का बड़ा जरिया मानते थे। कई रोगी तो ताबीज/माला पहनते हैं, दवा लेने में भी दिन/व्रत देखते हैं जो उन्हीं के लिए नुकसानदेह होता है।

सुविधा के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं

इधर, सूत्र बताते हैं कि यूं तो जेएलएन अस्पताल में बायोप्सी, एक्स-रे, सोनोग्राफी, शुरुआती स्तर पर सर्जरी आदि की व्यवस्था हैं पर स्टाफ और साधन-संसाधन के नाम से कैंसर वार्ड को अधिक उपयोगी नहीं बनाया गया है। यहां की नर्सिंग अफसर सोहिनी चौधरी बताती हैं कि हर माह बीस-पच्चीस कीमो थैरेपी करते हैं। रोगी को टेबलेट/दवा भी देते हैं।

आज मनाएंगे कैंसर दिवस

जेएलएन अस्पताल के कैंसर वार्ड में मंगलवार को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाएगा। डॉ. सुखराम बारूपाल ने बताया कि आमजन को इस रोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से यहां आयोजन होगा। रोगियों का समान किया जाएगा।