मेरा आदर्श गांव बांदीकुई

- बाँदीकुई भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले में एक उपखंड , तहसील, पंचायत समिति , विधानसभा क्षेत्र , नगर पालिका और प्रसिद्ध नगर है।
- यहाँ से दिल्ली 200 किमी, जयपुर 90 किमी और आगरा 150 किमी दूर है।
- वर्तमान में बांदीकुई शहर की आबादी लगभग 65 हजार है।
- यह शहर रेलवे का बड़ा जक्शन है जहाँ से पूरे देश के लिए ट्रेन उपलब्ध है।
मेरे गावं की कहानी डेस्क, आज इस लेख के माध्यम से मै आपको अपने गांव की कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरे गांव का नाम बांदीकुई है, वर्तमान बांदीकुई इतिहास का राजस्थान में रेल आगमन के साथ शुरू होता है। 20 अप्रैल 1874 में आगरा फोर्ट एवम बांदीकुई के मध्य तत्कालीन राजपुताना में पहली ट्रैन चली। उसके बाद तत्कालीन जयपुर महाराजा सवाई माधोसिंह जी ने यहां पर माधोगंज के नाम से अनाज मंडी की स्थापना की। व्यापार और रेल आवागमन के कारण बांदीकुई ने कालांतर में एक शहर का रूप ले लिया। कुल मिलाकर यही कहना सही होगा कि बांदीकुई के विकास की नींव रेल ही है। इसलिए बांदीकुई को रेल नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर भारत की सबसे बड़ी रेलवे कॉलोनी है बांदीकुई का जंक्शन अति सुंदर और मनोरम है। यहां की सुंदरता और स्वच्छता आगंतुकों के मन को बहुत लुभाती है रेलवे कॉलोनी बांदीकुई बहुत सुंदर है जिसमें गांधी ग्राउंड, रेलवे पार्क, सुभाष चंद्र बॉस पार्क बना हुआ है। यहां पर आरपीएफ का ट्रेनिंग सेंटर है जो नए भर्ती होने वाले आरपीएफ जवानों का भर्ती स्थल भी है और यहां पर भर्ती होने वाली नये आरपीएफ जवानों की ट्रेनिंग भी करवाई जाती है ।
वर्तमान में बांदीकुई शहर की आबादी लगभग 65 हजार है। यहाँ की नगरपालिका 30 वार्डो में विभक्त है। यह शहर रेलवे का बड़ा जक्शन है जहाँ से पूरे देश के लिए ट्रेन उपलब्ध है। बांदीकुई देश में पर्यटन की दृष्टि से गोल्डन ट्राइएंगल दिल्ली, जयपुर और आगरा के मध्य अवस्थित है। यहाँ से दिल्ली 200 किमी, जयपुर 90 किमी और आगरा 150 किमी दूर है। भरतपुर और अलवर क्रमशः 90 और 60 किमी दूर है। बांदीकुई सावा नदी के किनारे अवस्थित है।
जयपुर से आगरा जाने वाला nh-21 बांदीकुई के पास सिकंदरा से होकर गुजरता है एनएच 21 से बांदीकुई पहुंचना बहुत आसान है बांदीकुई से गुढा कटला को जाने वाली रोड पर अति सुंदर और भव्य राम मंदिर बना हुआ है जो प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है । बांदीकुई नव निर्मित तहसील है इसका कार्यालय संत फ्रांसिस स्कूल के सामने से भारत विधा मंदिर स्कूल के पास से जाने वाले रोड पर आशापुरा में स्थित है यहां पर तहसील संबंधी सारे कार्य किए जा सकते हैं। दौसा की प्रसिद्ध मिठाई डोवठा है जो पुराने बस स्टैंड गांधी तिराहे के पास एक मात्र दुकान पर बनाए जाते हैं। यहां कई फेमस टूरिस्ट पैलेसेज और मंदिर हैं, जिन्हें देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, तो आईये आपको बताते हैं यहां की कुछ मशहूर जगहों के बारे में......
- आठवीं सदी में निर्मित चांद बावड़ी और हर्षद माता का मंदिर।
- मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर, यहां पर बुरी आत्माओं को जो किसी व्यक्ति या औरत आदि के शरीर में प्रवेश कर जाती है उसको हटा कर उनका इलाज किया जाता हैं बालाजी की कृपा से।
- ब्रिटिशकालीन प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक चर्च। यह अं ग्रेजो द्वारा बनाया गया प्राचीन चर्च है जिसे देखने के लिए इनके वंशज आज भी बांदीकुई आते रहते है यह raliway कॉलोनी में स्थित है।
- झांझीरामपुरा बांदीकुई से लगभग 12 किमी की दूरी पर बसवा तहसील में पहाड़ियों के नीचे स्थित है जहां शिवजी ,हनुमानजी के मंदिर है एवं गोमुख है जिसमें से हमेशा पानी आता रहता है। इससे थोड़ा आगे अलेवा के झरने है जहां लोग अक्सर पिकनिक मनाने जाते हैं।
- यहाँ से सरिस्का बाघ अभ्यायरण भी घुमा जा सकता है। सरिस्का से पहले बांदीकुई की और से अलवर जाते समय रास्ते में प्रसिद्ध नारायणी माता का मंदिर आता है जो नाई समाज की कुल देवी मानी जाती है ।
लेखक: Sachin Kumar Bhargava