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मेरा आदर्श गांव आसपुरा (श्रीमाधोपुर)

आज के मेरे गावं की कहानी में हम जानेगें जिला सीकर तहसील श्रीमाधोपुर के करीब पड़ने वाले आदर्श गांव आसपुरा की कहानी जहां रोजगार की कमी के चलते लोग शहरों की और पलायन करने लगे हैं, तो चलिए जाने यहां की कहानी को....
 
आसपुरा 
  • आसपुरा गावं राजस्थान के सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में बसा हुआ है। 
  • आसपुरा गांव की कुल जनसंख्या 6500 है। 
  • गांव में तेजाजी का मेला काफी प्रसिद्ध है। 

मेरे गावं की कहानी डेस्क, आज इस लेख के माध्यम से मै आपको अपने गांव की कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरे गांव का नाम आसपुरा है जो सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील में बसा हुआ है। आसपुरा गांव की कुल जनसंख्या 6500 है। जनसंख्या कम होने का कारण गावों में रोजगार की कमी है, जिसके चलते गावं से काफी लोग शहरों की और पलायन करने लगे है। आसपुरा गांव के आस-पास कई प्रसिद्ध जगहें है जिसमें आसपुरा धूणी, तेजाजी मंदिर, बहुत सदियों पुराना विशालकाय बरगद का पेड़ है, जिसके नीच गांव के बड़े बुजर्ग शाम को चौपाल लगाते है। आसपुरा गांव के पास अजीतगढ़ नाम का एक क़स्बा है, जहां शहरों जैसे हॉस्पिटल और दवा खान की व्यवस्था है, ज्यादा सीरियस कंडीशन में लोगों के यही गांव से 6 किलोमीटर दुरी पर पड़ता है। 

आसपुरा 

गांव की कहानी- हम बताने जा रहे है आसपुरा गांव के बारे में जो सीकर जिला तहसील श्रीमाधोपुर में अजीतगढ़ के पास पड़ता है, इस गांव में सभी प्रकार की जाती धर्म के लोग निवास करते है। यहाँ के लोगों की यह सबसे अच्छी बात ये है की एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है। गांव में तेजाजी का मेला काफी प्रसिद्ध है, गांव के सैकड़ो लोग उमड़ते है बच्चों के लिए झूले आदि लगते है। इस मेले में खास रूप से  सांपो का खेल भी दिखाया जाता है। इस गांव में आज से 50 वर्ष पूर्व एक नदी बहती थी, जो आज सूखकर रेगिस्तान बन चुकी है। आज भी यहाँ लोग खुले में शौच के लिए जाते है। आसपुरा के धूनी वाले बाबा को यहाँ के लोग मानते है इनके स्थान पर लोग झुकाते है सर ऐसा माना जाता है की लोगों की मन्नत भी पूरी होती है। हालाँकि, आज गांव में बेरोजगारी के चलते लोग अपनी बड़ी-बड़ी हेवली छोड़कर शहर में आ गए है। आप को हमारे गांव की कहानी अच्छी लगी हो तो, आप हमारे गांव की सैर पर आ सकते है। आपको हमारे गावं की कहानी किसी लगी हमें जरूर बताएं।  

आसपुरा 

लेखक: Suraj Bunkar