Kota के दो युवाओं ने मक्का के दानों से बनाए कैरी बैग्स
नहीं पहुंचाते नुकसान
ये कैरी बैग्स मक्का के दानों से तैयार किए जा रहे हैं। 160 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान पर मशीनों से बनती है। कोटा में बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग्स 500 ग्राम से 25 किलो तक वजन की क्षमता में तैयार किए जा रहे हैं। ये कैरी बैग्स करीब छह माह में अपने आप विघटित दो जाते हैं। इससे प्रकृति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।दोनों युवा मैकेनिकल ब्रांच से बीटेक हैं। बिगड़ते पर्यावरण को देखते हुए आसिफ व मोहक ने संकल्प लिया कि कुछ ऐसा व्यवसाय या रोजगार किया जाए, जिससे भौतिक शिक्षा का उपयोग पर्यावरण संरक्षण में किया जा सके। इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी के प्रस्तावों को ठुकराकर बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग्स के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प को तैयार कर प्लास्टिक प्रदूषण की बढती समस्या का समाधान निकाला।
मोहक व आसिफ बताते हैं कि शुरुआती दौर बहुत कठिन रहा। लोगों का रेस्पॉन्स नहीं मिला। जब लोगों को इन बैग्स के फायदे पता चले, तब जाकर उपयोग करने लगे। अब 12000 किलो प्रतिमाह कम्पोस्टेबल बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग कैरी बैग्स तैयार किए जा रहे हैं। इनकी डिमांड बाजारों से लेकर परिवारों, उत्सव, त्योहारों व विवाह आदि आयोजन में है। कोटा से पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, जम्मू कश्मीर, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान में बैग्स व थैलियां भेजी जा रही हैं।