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राजस्थान के 3 युवाओं ने राष्ट्रीय युवा संसद में बनाई जगह, सदन में राणा सांगा विवाद पर भी हुई चर्चा

 
राजस्थान के 3 युवाओं ने राष्ट्रीय युवा संसद में बनाई जगह, सदन में राणा सांगा विवाद पर भी हुई चर्चा 

कोटा न्यूज़ डेस्क -राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राज्य स्तरीय विकासशील भारत युवा संसद का आयोजन किया गया। इस दौरान राष्ट्रीय युवा संसद के लिए तीन श्रेष्ठ वक्ताओं का चयन किया गया, जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सम्मानित किया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज का युवा ही सच्चा भारत है। राष्ट्र का भविष्य युवाओं के मजबूत कंधों पर टिका है। देवनानी ने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और इसकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने का आह्वान किया।

लोकतंत्र एक विचारधारा भी है- अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान सर्वोच्च है और इसकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा भी है। उन्होंने युवाओं से जनसंख्या नियंत्रण, सामाजिक भेदभाव, भ्रष्टाचार और क्षेत्रवाद जैसी समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। हम सभी को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में योगदान देना चाहिए। युवा संसद में 140 युवाओं ने भाग लिया

वहीं, टीकाराम जूली ने कहा कि देश तभी तरक्की करेगा, जब युवा राजनीति में सक्रिय होंगे। राजनीति ही विकास का आधार है और युवा सही दिशा में आगे बढ़ेंगे तो देश नई ऊंचाइयों को छुएगा। युवा विभाग के सचिव डॉ. नीरज कुमार पवन ने बताया कि इस युवा संसद में राजस्थान से 140 युवाओं ने भाग लिया, जिसमें से तीन युवाओं का चयन राष्ट्रीय युवा संसद के लिए हुआ। जयपुर की हर्षिता शर्मा प्रथम, बीकानेर की मनीषा जोशी द्वितीय और अलवर की रिंकी खातून तृतीय स्थान पर रहीं, जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष ने प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

युवा संसद में गूंजा राणा सांगा का मुद्दा

बता दें कि विधानसभा में आयोजित राज्य स्तरीय युवा संसद में सपा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा राणा सांगा को देशद्रोही कहने का मुद्दा भी गूंजा। झुंझुनूं से प्रतिभागी कुलदीप सिंह ने इस बयान पर कहा कि हमारे देश की संसद में संविधान की रक्षा के लिए 11 संकल्प लिए गए हैं, लेकिन जब उसी संसद में एक सांसद किसी ऐतिहासिक नायक का अपमान करता है, तो यह दुखद है। कुलदीप ने कहा कि इस तरह के बयान लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं और इन पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए।