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मदन दिलावर के गृह जिले में शिक्षा की ये हालत! स्कूल की छत गिरने के डर से बांधीं रस्सियां, लाइब्रेरी में बैठ पढ़ाई कर रहे छात्र

 
मदन दिलावर के गृह जिले में शिक्षा की ये हालत! स्कूल की छत गिरने के डर से बांधीं रस्सियां, लाइब्रेरी में बैठ पढ़ाई कर रहे छात्र

राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के गृह ज़िले कोटा के केबलनगर क्षेत्र में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की हालत चिंताजनक बनी हुई है। स्कूल के नौ कक्षा-कक्ष, बरामदे और शौचालय पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं, जिन्हें बारिश के दौरान ख़तरनाक मानते हुए खाली करा दिया गया है। बरामदे को रस्सियों से बाँधकर बंद कर दिया गया है ताकि छात्र वहाँ न जा सकें और प्रशासन ने वहाँ 'ख़तरा' लिखा एक चेतावनी बोर्ड भी लगा दिया है। शहर के पास तो यह हाल है ही, गाँवों में तो स्थिति और भी ख़राब है।

प्रधानाचार्य मिन्नत बेगम ने बताया कि बारिश में छत टपकने और बरामदे की दीवारें गिरने के डर से छात्रों को दूसरे सुरक्षित कमरों, लैब और आर्ट एंड क्राफ्ट रूम में बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। कुल 17 कक्षाओं में से 9 क्षतिग्रस्त हैं। वर्तमान में स्कूल में 433 छात्र नामांकित हैं और 17 शिक्षक कार्यरत हैं। यह भवन पहले एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय था और वर्ष 1986-87 में निर्मित कक्षा-कक्ष उसी स्तर के हैं। अब यह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बन गया है, लेकिन कक्षाओं की संख्या और स्थिति अभी भी वही है, जिससे विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

चेचट। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गाँव रायखेड़ा का उच्च प्राथमिक विद्यालय स्वयं बदहाली का शिकार है। विद्यालय की छतें टपक रही हैं और प्लास्टर गिर रहा है। जिससे विद्यार्थी खतरे के साये में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। विद्यालय भवन में कुल चार कक्षा-कक्ष और एक बरामदा है, जिनमें से दो कमरे और बरामदा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इनकी छतों का प्लास्टर उखड़ चुका है और छड़ें तक बाहर आ गई हैं। बारिश के दिनों में प्लास्टर गिरने का खतरा इतना अधिक है कि विद्यालय प्रशासन ने इन हिस्सों को पूरी तरह से बंद कर दिया है। वर्तमान में कक्षा 1 से 8 तक की सभी कक्षाएं केवल दो कक्षाओं में संचालित हो रही हैं, जो स्वयं बारिश में टपकती हैं। इससे विद्यार्थियों को पढ़ाई में दिक्कत आ रही है। स्कूल में करीब 35 विद्यार्थी और 5 स्टाफ सदस्य कार्यरत हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह शिक्षा मंत्री के क्षेत्र का स्कूल है, फिर भी इसकी हालत पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विभागीय अधिकारी भी अनदेखी कर रहे हैं। अगर क्षतिग्रस्त दोनों कमरों की मरम्मत हो जाए, तो बच्चों को एक ही कमरे में ठूंस-ठूंस कर नहीं बैठना पड़ेगा। कार्यवाहक प्रधानाध्यापक रवि वर्मा ने बताया कि भवन की मरम्मत के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है।बारिश के दौरान कक्षाओं में पानी टपकने से यूनिफॉर्म भीग जाती हैं। पढ़ाई का सामान भीग जाता है। अगर नए कक्षा-कक्ष बन जाएं, तो राहत मिलेगी।