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Kota उत्तरी निगम आयुक्त को मेला अधिकारी बनाने और चार करोड़ ट्रांसफर करने का विरोध, जाँच की मांग

 
Kota उत्तरी निगम आयुक्त को मेला अधिकारी बनाने और चार करोड़ ट्रांसफर करने का विरोध, जाँच की मांग 

कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा के एतिहासिक दशहरे मेले की शुरूआत पंद्रह अक्टूबर से होने जा रही है। हालांकि औपचारिक शुरूआत दशहरे पर रावण दहन से मानी जाती है। मेले की तैयारियों को लेकर मेला समिति की बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है। पहली बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। अब दक्षिण नगर निगम के पार्षदों ने उत्तर निगम के आयुक्त को मेला अधिकारी बनाने समेत दक्षिण निगम से चार करोड़ रूपए मेले के लिए उत्तर निगम को देने का भी विरोध जताया है।

हालांकि अभी रूपए ट्रांसफर नही किए गए है लेकिन उत्तर निगम की तरफ से दक्षिण निगम से रूपयों की डिमांड की गई है। पिछले साल भी मेला दशहरा दोनों निगमों के बीच विवाद के चलते पिसता नजर आया था, इस बार भी वही स्थिति बनती जा रही है। जबकि आचार संहिता लगने के साथ ही अधिकारियों की ही मेले को भरवाने की जिम्मेदारी रहेगी। लेकिन अभी तक कार्यक्रम फाइनल नहीं किए जा सके और मेला ग्राउंड में व्यवस्थाओं को लेकर तक कोई निणर्य नही लिया जा सका। मेला दशहरा कोटा दक्षिण नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आता है।

लेकिन मेला समिति में कोटा उत्तर की महापौर को समिति अध्यक्ष बनाया गया था और कोटा दक्षिण महापौर को सदस्य, इसका भी जमकर विरोध हुआ था। मेला समिति की अध्यक्ष उत्तर महापौर मंजू मेहरा है। इस साल मेला अधिकारी उत्तर निगम के आयुक्त अनुराग भार्गव को बना दिया। अब जो निर्णय लिया गया, उसमें दक्षिण निगम को अपने हिस्से का 4 करोड़ रुपए उत्तर निगम को देने को कहा गया है। कोटा दक्षिण के पार्षदों का विरोध है कि मेला अधिकारी कोटा दक्षिण निगम के अधिकारियों में से किसी को बनाया जाए। जब मेला दक्षिण के क्षेत्राधिकार में भरता है तो अधिकारी भी यहां से ही लगना चाहिए। मेला समिति मेले के सभी निर्णय उत्तर निगम से करवाना चाहती है जो गलत है। दक्षिण महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि इस संबध में नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी समेत कई पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए पत्र दिया है। इसे लेकर नियम के अनुसार जो भी होगा वह किया जाएगा। अगर चार करोड़ रूपए उत्तर निगम को देना नियमों में आता है तो दिया जाएगा नही तो नियम के अनुसार चलेंगे। नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि दक्षिण निगम के क्षेत्राधिकार में मेला भरता है, ऐसे में मेले से संबधित सभी काम दक्षिण निगम से ही होने चाहिए। समिति नियमानुसार काम नहीं कर रही है।