अब बेझिझक राजस्थान से मध्यप्रदेश तक दौड़ते नजर आएंगे चीते, इन वन क्षेत्रों को जोड़कर बनाया जायेगा नया चीता कॉरिडोर
मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क से कभी-कभार राजस्थान के जंगलों में घुसने वाले तेंदुओं के लिए खुशखबरी है। दोनों राज्यों के बीच 17 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कॉरिडोर बनाया जाएगा। इससे मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच तेंदुओं की राह आसान हो जाएगी। लंबी दूरी तक तेज दौड़ने वाले तेंदुए दोनों राज्यों के बीच दौड़ सकेंगे। राजस्थान में कॉरिडोर का क्षेत्रफल 6500 किलोमीटर होगा। कॉरिडोर में तेंदुए कुनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व होते हुए गांधी सागर अभयारण्य तक जा सकेंगे। इसके लिए राजस्थान में सीएम स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। कॉरिडोर का मतलब है ऐसा कॉरिडोर जिसका इस्तेमाल वन्यजीव एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए बार-बार करते हैं। कॉरिडोर का निर्माण वन्यजीवों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए किया जाएगा। इस कॉरिडोर के जरिए तेंदुए राजस्थान के मुकुंदरा रिजर्व से मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य तक जा सकेंगे।
चीता कॉरिडोर पर एक नजर
कॉरिडोर 17 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बनेगा
6500 वर्ग किलोमीटर राजस्थान का क्षेत्र होगा
10500 किलोमीटर मध्य प्रदेश का क्षेत्र होगा
कुनो में वर्तमान में चीतों की संख्या
कुनो में 26 चीते हैं (5 नर, 7 मादा और 14 शावक)
12 चीते साउथ अफ्रीका से हैं
8 नामीबिया से लाए गए
ये होगा फायदा
हाड़ौती में मुकुंदरा और रामगढ़ टाइगर रिजर्व हैं। भविष्य में बाघों के दीदार के साथ ही पर्यटकों को चीते भी देखने को मिल सकेंगे। इससे पहले भी चीते राजस्थान में आ चुके हैं। चीते बारां और करौली के जंगलों में आ गए थे। बारां से चीता अपने इलाके में लौट गया था, लेकिन उसे ट्रैंकुलाइज करके करौली के जंगलों से दूर ले जाना पड़ा था। कॉरिडोर बनने के बाद उसे ट्रैंकुलाइज नहीं करना पड़ेगा। वे अपनी इच्छानुसार कॉरिडोर में विचरण कर सकेंगे। चीतों की संख्या बढ़ने से उन्हें विचरण के लिए पर्याप्त जंगल मिलेगा।
जल्द होगा एमओयू
कॉरिडोर को लेकर राज्य स्तर पर योजना तैयार कर ली गई है और फाइल मुख्यमंत्री को भेज दी गई है। मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय के बाद दोनों राज्य चीता प्रोजेक्ट पर एमओयू करेंगे। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने पूरा ट्रैक बना लिया है। चीतों और बाघों के लिए जिलेवार क्षेत्र का पूरा नक्शा तैयार कर लिया गया है। हाल ही में कोटा प्रवास के दौरान वन मंत्री ने कहा है कि चीता प्रोजेक्ट के तहत दोनों राज्यों के बीच जल्द ही एमओयू किया जाएगा।
विषय विशेषज्ञ
चीता कॉरिडोर बनाने की योजना है, लेकिन यह उच्च स्तरीय मामला है। स्थानीय स्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
हर किसी का अपना स्वभाव और गुण होता है
प्रकृति ने प्रत्येक जीव को अपना स्वभाव और गुण दिया है। सभी जीवों में अनुकूलन की एक प्रणाली होती है। मछली, मगरमच्छ पानी में रहते हैं, यह प्रकृति है। जंगल में हर कोई अपने गुणों और विशेषताओं के साथ रह सकता है। जहां हमारे पास बाघ हैं, वहां पैंथर और अन्य जीव भी हैं। अफ्रीका में एक ही जंगल में शेर, तेंदुए और पैंथर देखे जा सकते हैं, इसलिए ऐसा नहीं है कि बाघ होंगे तो तेंदुए कैसे बचेंगे। तेंदुए को मैदानी इलाका पसंद होता है। उनमें भागने की क्षमता होती है और वे अपनी सुरक्षा खुद कर सकते हैं। पैंथर में पेड़ों पर चढ़ने की क्षमता होती है। बाघ घने और बिखरे दोनों तरह के जंगलों में रह सकता है। इसलिए चीता कॉरिडोर के अलावा कोई समस्या नहीं है, लेकिन उन सभी के लिए जरूरी है कि शिकार का आधार (भोजन) अच्छा हो। शिकार का आधार बढ़ेगा तो कोई दिक्कत नहीं होगी, वैसे भी किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा होने में समय लगता है
