Kota बच्चों के लिए बनेगा खुला सभागार, पक्षियों के लिए बनेगा बचाव केंद्र

ऐसा होगा रेस्क्यू सेंटर
पांच सौ वर्ग मीटर में एवियरी बनाई जाएगी। इसमें रेस्क्यू कर लाए गए पक्षियों को छोड़ा जाएगा। घायल या बीमार होने के बाद जो पक्षी उड़ नहीं पाते उन पक्षियों को इलाज के बाद यहां रखा जाएगा। पक्षियों के इलाज की पूरी व्यवस्था की जाएगी। एक रेस्क्यू कक्ष बनाया जाएगा। पक्षियों के इलाज के लिए ऑपरेशन टेबल, पोस्टमार्टम टेबल व आवश्यक दवा का प्रबंध रखा जाएगा।
पुराने पिंजरे संवारेंगे
चिडियाघर में पिंजरों को संवारा जाएगा। इनकी आवश्यकतानुसार मरमत, रंग-रोगन करवाया जाएगा, ताकि विभिन्न स्थानों से रेस्क्यू कर लाए गए वन्यजीवों को इलाज के बाद आराम से रखा जा सके। चिड़ियाघर में भालू, शेर, बाघ समेत अन्य पिंजरों के साथ नील गाय, हिरण इत्यादि के बाड़े व अजगर, मगरमच्छ के लिए वाटर पोंड हैं। ये भी पर्यटकों को आकर्षित कर सकें, इसे देखते हुए इनका काम करवाया जाएगा। फिलहाल पक्षी व अजगर इसी चिड़ियाघर में हैं। परिसर में बच्चों के लिए छोटा ओपन ऑडिटोरियरम बनाया जाएगा, ताकि यहां जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें। पक्षी व जागरूकता के साइन बोर्ड्स भी परिसर में लगाए जाएंगे।
120 साल पुराना है जू
नयापुरा स्थित चिडियाघर 120 साल पुराना और 2.2 हैक्टेयर भू-भाग में फैला हुआ है। सीजेडए के मापदंडों के अनुसार परिसर व वन्यजीवों के पिंजरे छोटे होने के कारण अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क बनाया गया है। इसके बाद से यहां फिलहाल विभाग का कार्यालय संचालित किया जा रहा है।