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Kota रामगंजमंडी को जल्द मिलेगा ताकली बांध से पीने का पानी, भेजा प्रस्ताव

 
Kota रामगंजमंडी को जल्द मिलेगा ताकली बांध से पीने का पानी, भेजा प्रस्ताव

कोटा न्यूज़ डेस्क, आजादी के 77 साल बाद भी जलापूर्ति के लिए रामगंजमंडी उपखंड क्षेत्र दूसरे जिले पर निर्भर है। करीब 70 किमी दूर रावतभाटा में स्थित राणाप्रताप सागर बांध से यहां पानी लाया जा रहा है। इसमें कई बाधाएं आने से बार-बार जलापूर्ति ठप हो जाती है। अब जलदाय विभाग क्षेत्र में बनकर तैयार हुए ताकली बांध से जलापूर्ति के प्रयास कर रहा है। इससे जलापूर्ति व्यवस्था में सुधार होगा। पेयजल के लिए रामगंजमंडी आत्मनिर्भर हो जाएगा। जलदाय विभाग के एक्सईएन अंकित सारस्वत ने बताया कि अभी 70 किमी दूर दूसरे जिले से पानी लाने में कई समस्याएं आती है। इससे पूरे क्षेत्र की जलापूर्ति बाधित हो जाती है। सबसे बड़ी समस्या दूसरे जिले में काम करवाने के लिए समन्वय रखने में आती है। अब ताकली बांध में पानी का भराव शुरू हो गया है। जो शहर सहित आसपास के गांवों-कस्बों के पास पड़ता है। इसके लिए विभाग ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रस्ताव तैयार कर रखा है। आचार संहिता हटने के बाद इसे मुख्यालय भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति के बाद आगे की कार्रवाई होगी। जलसंसाधन विभाग को इस बारे में लिखा जा चुका है।

रावतभाटा-रामगंजमंडी पेयजल योजना से रामगंजमंडी सहित कुल 188 गांव-कस्बों में जलापूर्ति होती है। इसमें रामगंजमंडी उपखंड के 153 और चित्तौड़ जिले के 35 कस्बे-गांव जुड़े हुए हैं। इसके लिए चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में स्थित राणा प्रताप सागर से पानी लिफ्ट किया जाता है। बांध के भराव क्षेत्र के आंबाकुई में पंप हाउस बनाया हुआ है। पंप हाउस एकलिंगपुरा घाटे पर बनाया गया है। जहां से 70 किमी दूर रामगंजमंडी तक पाइप लाइन से हर दिन करीब 60 लाख लीटर पानी लाया जाता है। यहां दो दिन में एक बार जलापूर्ति होती है। समस्या यह आती है कि इतनी दूर से पानी आने से बार-बार कई जगह पाइप लाइन फूट जाती है। कभी पंप हाउस की बिजली लाइन फॉल्ट हो जाती है।

पंप हाउस पर बिजली अजमेर डिस्कॉम से आती है, जबकि रामगंजमंडी में जयपुर डिस्कॉम से। ऐसे में कई बार समय पर फाल्ट नहीं सुधारने से भी पंप नहीं चलते और जलापूर्ति ठप रहती है। जलदाय विभाग का कार्यालय रामगंजमंडी में और जलापूर्ति होती है 70 किमी दूर से, ऐसे में मॉनिटरिंग भी पूरी नहीं हो पाती है। ताकली बांध रामगंजमंडी शहर से करीब 9 किमी दूर चेचट के पास है। ऐसे में यहां से जलापूर्ति आसान है। जलापूर्ति के लिए योजना बनती है तो फिल्टर प्लांट भी पास रहेगा। दूरी कम होने से पाइप लाइन बार-बार फूटने की आशंका भी कम हो जाएगी। वहीं, जलदाय व बिजली विभाग के कार्यालय रामगंजमंडी ही होने से मॉनिटरिंग प्रभावी रहेगी। कभी भी बिजली लाइन में फॉल्ट आने या पाइप लाइन फूटने पर जल्द ही सुधार हो सकता है। इससे अधिक समय तक जलापूर्ति भी बाधित नहीं रहेगी। जलदाय विभाग ने भी इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। करीब 17 साल के लंबे इंतजार के बाद ताकली बांध बनकर तैयार हुआ है। वर्ष 2006 में ताकली बांध मध्यम सिंचाई परियोजना स्वीकृत हुई थी। बांध का काम 2012 में पूरा होना था, लेकिन कभी बजट में देरी व मुआवजा तो कभी ग्रामीणों के विरोध के चलते काम सुचारू नहीं चल पाया।

इससे परियोजना की लागत 52 करोड़ से बढ़कर 250 करोड़ हो गई है। ताकली बांध का काम 2023 में पूरा हो पाया और पिछली बारिश में पहली बार इसमें पानी का भराव किया। हालांकि पहली बार पानी रोकने से इसे पूरा नहीं भरा गया। अब इस साल बारिश में इसे पूरा भरने की योजना है। ^जलदाय विभाग की ओर से ताकली बांध से पेयजल के लिए डिमांड आई थी। इस पर विभाग की ओर से फोरमेट जारी कर दिया गया है। अब लिखित में प्रस्ताव आने के बाद मुख्यालय भेजा जाएगा। -अशोक मीणा, एईएन, जल संसाधन विभाग