Kota संकीर्ण प्लेटफार्म, कोच गाइडेंस सिस्टम की विफलता, फिसलन भरी सड़कें
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा करीब सवा साल में 53 प्रतिशत काम हुआ है, काम की मौजूदा रफ्तार देखते हुए अप्रैल 2025 तक शेष 47 फीसदी काम होना मुश्किल है। इस रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में ड्रॉप एंड गो सिस्टम बंंद है। वहां अवैध तरीके से चार पहिया वाहन खड़े रहते हैं। इन वाहन वालों से वसूली कौन कर रहा है, रेलवे प्रशासन के लिए यह जांच का विषय है। सर्कुलेटिंग एरिया में चारों तरफ धूल रहती है। क्षेत्र में जगह-जगह कचरा फैला रहता है। प्लेटफार्म नंबर-1, समय- 12.20 बजे : इंदौर-जोधपुर रणथंभौर एक्सप्रेस ट्रेन रुकते ही यात्री प्लेटफार्म पर उतरने लगे। कोटा से जिन यात्रियों को चढ़ना था वे गेट के आगे खड़े थे। कोच बी-3 के पास ही इतनी भीड़ थी कि यात्री आगे-पीछे नहीं हो पा रहे थे। कोच गाइडेंस सिस्टम से डिस्प्ले बोर्ड पर जो नंबर दर्शाया था, वह कोच वहां नहीं आया था। पानी प्लेटफार्म पर फैल रहा था। प्लेटफार्म पर प्रवेश के लिए अभी सिर्फ एक मार्ग है।
सुनील राजा/ वीरेंद्रसिंह राठौड़ | कोटा
इस वक्त हम खड़े हैं कोटा के उस रेलवे स्टेशन पर, जहां से रोज 21 हजार यात्री अपना ट्रेन का सफर शुरू या समाप्त करते हैं। इन दिनों यहां 207.63 करोड़ की लागत से पुनर्विकास कार्य हो रहे हैं। दावा है कि काम पूरा होने के बाद यह रेलवे स्टेशन वर्ल्ड क्लास हो जाएगा। खैर... फिलहाल यहां की मौजूदा तस्वीर देखिए- टीनशेड व नेट लगाने से प्लेटफॉर्म संकरे हो गए हैं, कोच गाइडेंस सिस्टम फेल है, जगह-जगह पानी फैला होने से फिसलन है, खुदाई होने से कहीं मिट्टी के ढेर हैं तो कहीं कीचड़ फैला है। रेलवे ने एक साथ पूरा काम छेड़ तो दिया, लेकिन यह ध्यान नहीं रखा कि इस स्टेशन पर रोज 104 ट्रेनों की आवाजाही है। दो रिपोर्टरों ने मंगलवार को 8 घंटे यहां के चारों प्लेटफॉर्म पर हालात देखे। पता चला कि कदम-कदम पर यात्री दुखी हैं।
सीधी बात
Q. स्टेशन पर यात्री क्यों परेशान हो रहे हैं?
- स्टेशन पर बड़ा काम किया जा रहा है। जो भी आवश्यक सुविधाएं हैं, उन्हें यात्रियों को उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है।
Q. प्लेटफार्म पर कम जगह रहने से क्या हादसे की आंशका नहीं रहती है?
- जहां काम होता जा रहा है, वहां प्लेटफार्म की चौड़ाई पूर्व की तरह की जा रही है। िस्थति में सुधार किया जाएगा। व्यवस्थाओं की निरंतर मॉनीटरिंग की जाएगी।
Q. रेल अधिकारी भी आते-जाते हैं, समस्याएं अनुभव नहीं कर रहे क्या?
- स्टेशन पर चल रहे काम की िस्थतियों को फिर देखते हैं। जहां खुदाई के कारण ड्रेनेज टूट गए हैं, उन्हें दुरुस्त करवाकर टॉयलेट व सर्कुलेटिंग एरिये में सफाई की व्यवस्था को अभी से बेहतर करने के प्रयास होंगे।
जहां काम होता जा रहा, वहां की चौड़ाई पूर्व की तरह करते जा रहे
प्लेटफार्म 2 व 3 : सिर्फ एक टॉयलेट, वहां भी कीचड़
प्लेटफार्म दो व तीन पर यात्रियों को ले जाने के लिए लगे दो एस्केलेटर में से एक खराब पड़ा है। प्लेटफार्म दो व तीन पर यात्रियों के लिए इन दिनों एक ही टॉयलेट है, जहां खुदाई के कारण मिट्टी आैर पानी फैला है, कीचड़ हो चुका है। कीचड़ के कारण टॉयलेट तक पहुंचना यात्रियों के लिए चुनौती है। दोनो प्लेटफार्म पर कई हिस्सों में टीनशेड लगाए हुए हैं। जिससे प्लेटफार्म की चौड़ाई काफी कम हो रही है।
प्लेटफार्म नंबर 4 : कोच गाइडेंस सिस्टम गड़बड़
अभी जो मुख्य द्वार बना हुआ है, वहां गड्डे हो रहे हैं। जैसे ही यात्री प्लेटफार्म पर प्रवेश करता है उसे छोटे रास्ते से निकलना होता है। इस प्लेटफार्म पर श्रसर कोच गाइडेंस सिस्टम गड़बड़ है। ट्रेनें आकर रुकती हैं तो कोच डिस्प्ले बोर्ड के अनुसार कोच खड़े नहीं होते। पूरे प्लेटफार्म पर गंदगी फैली रहती है। टॉयलेट की हालत खस्ता है। बदबू के कारण यात्री इस टॉयलेट के पास से भी नहीं गुजर पाता।