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Kota नगर निगम भूल गया रैन बसेरे, संस्था ने दिखाए एक दर्जन

 
Kota नगर निगम भूल गया रैन बसेरे, संस्था ने दिखाए एक दर्जन 
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा  आर्य समाज की ओर से जरूरतमंदों को ऊनी वस्त्र वितरित किए गए। आर्य उप प्रतिनिधि सभा की ओर से संभागीय मीडिया प्रभारी आचार्य अग्निमित्र शास्त्री ने महामंत्री अरविंद पाण्डेय व प्रधान अर्जुन देव चड्ढ़ा के नेतृत्व में बच्चों को टोपे वितरित किए। चड्ढा ने श्रमिक महिला पुरुषों को बुराइयों से दूर करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उपयोग की शिक्षा पर ध्यान दें। पदाधिकारियों ने लोगों को नशा छोड़ने की शपथ दिलाई। कोटा शहर में पिछले सप्ताह हुई बारिश के बाद सर्दी ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। इसके बावजूद नगर निगम प्रशासन ने अभी तक रैन बसेरे शुरू नहीं किए हैं। इधर शहर की एक सामाजिक संस्था ने खुले में रात बिताने वाले परिवारों के दर्द को समझा और उनके लिए शेल्टर होम बना डाले। इन शेल्टर होम में परिवार सुकून से रह रहे हैं। प्रतीक्षा चेरिटेबल फाउण्डेशन की अध्यक्ष प्रतीक्षा पारीक व सिमरन वालवानी बताती हैं कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अब तक एक दर्जन के करीब शेल्टर होम तैयार करवाए हैं। संस्था शिक्षा व रोजगार की ज्योत भी जला रही है।

जो रहते हैं, वहीं बनाए शेल्टर होम

आमतौर पर प्रशासन कॉमन रैन बसेरे संचालित करना है, लेकिन संस्था ने ऐसे परिवारों के लिए सड़क किनारे जहां वह रात गुजारते हैं, वहीं शेल्टर होम तैयार करवाए हैं। उन्हें दिन में कहीं भी अपने काम से जाना होता है तो चले जाते हैं और रात में शेल्टर मेें आ जाते हैं। सरकारी रैन बसेरों में हालांकि महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग अलग व्यवस्थाएं होती हैं, लेकिन परिवार की दृष्टि से अलग से व्यवस्था नहीं होती, उनकी समस्याओं को देखते हुए शेल्टर होम बनाए हैं। सर्दी से बचाव के लिए चारों तरफ बरसाती, टेंट, चादर इत्यादि लगाए हैं। बिछाने के लिए गद्दे और ओढ़ने के लिए कंबल दिए गए हैं।

पढ़ाई के लिए प्रेरित, राशन का भी बंदोबस्त

शेल्टर होम खोलने के साथ फाउंडेशन ऐसे परिवारों को आवश्यकता पड़ने पर राशन व बीमारी में चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रही है। फाउंडेशन सदस्य सिमरन लालवानी, सुशील मिश्रा, मनीष राज, प्रिया अरोड़ा व अन्य सदस्य समय निकालकर ऐसे परिवारों के बच्चों को शिक्षा से भी जोड रहे हैं। कुछ की आर्थिक मदद कर रोजगार शुरू करवाया। सड़कों पर सोने वाले लोगों को सर्दी में ठिठुरते देखा तो मन में पीड़ा हुई, इसके लिए फाउंडेशन के सदस्यों से चर्चा कर योजना बनाई। अब तक 12 शेल्टर होम और 200 कंबल वितरित कर चुके हैं। पारीक बताती हैं कि इससे मन को सुकून मिलता है।