Kota नगर निगम भूल गया रैन बसेरे, संस्था ने दिखाए एक दर्जन
जो रहते हैं, वहीं बनाए शेल्टर होम
आमतौर पर प्रशासन कॉमन रैन बसेरे संचालित करना है, लेकिन संस्था ने ऐसे परिवारों के लिए सड़क किनारे जहां वह रात गुजारते हैं, वहीं शेल्टर होम तैयार करवाए हैं। उन्हें दिन में कहीं भी अपने काम से जाना होता है तो चले जाते हैं और रात में शेल्टर मेें आ जाते हैं। सरकारी रैन बसेरों में हालांकि महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग अलग व्यवस्थाएं होती हैं, लेकिन परिवार की दृष्टि से अलग से व्यवस्था नहीं होती, उनकी समस्याओं को देखते हुए शेल्टर होम बनाए हैं। सर्दी से बचाव के लिए चारों तरफ बरसाती, टेंट, चादर इत्यादि लगाए हैं। बिछाने के लिए गद्दे और ओढ़ने के लिए कंबल दिए गए हैं।
पढ़ाई के लिए प्रेरित, राशन का भी बंदोबस्त
शेल्टर होम खोलने के साथ फाउंडेशन ऐसे परिवारों को आवश्यकता पड़ने पर राशन व बीमारी में चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रही है। फाउंडेशन सदस्य सिमरन लालवानी, सुशील मिश्रा, मनीष राज, प्रिया अरोड़ा व अन्य सदस्य समय निकालकर ऐसे परिवारों के बच्चों को शिक्षा से भी जोड रहे हैं। कुछ की आर्थिक मदद कर रोजगार शुरू करवाया। सड़कों पर सोने वाले लोगों को सर्दी में ठिठुरते देखा तो मन में पीड़ा हुई, इसके लिए फाउंडेशन के सदस्यों से चर्चा कर योजना बनाई। अब तक 12 शेल्टर होम और 200 कंबल वितरित कर चुके हैं। पारीक बताती हैं कि इससे मन को सुकून मिलता है।