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Kota औद्योगिक क्षेत्रों में दस साल से नहीं बढ़ी डीएलसी दरें, राजस्व की हानि

 
Kota औद्योगिक क्षेत्रों में दस साल से नहीं बढ़ी डीएलसी दरें, राजस्व की हानि

कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा कोटा समेत प्रदेश के रीको के औद्योगिक क्षेत्रों में पिछले दस साल से डीएलसी दरों में परिवर्तन नहीं हुआ है। जबकि इस अवधि में जमीनों की कीमतों में कई गुणा बढ़ोतरी हो गई। इससे औद्योगिक क्षेत्रों में जमीनों की खरीद-फरोख्त में दो नम्बर का लेन-देन हो रहा है। इस वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र, आईटी पार्क, टैक्सटाइल जोन, इलेक्ट्रोनिक जोन, लघु औद्योगिक क्षेत्र, चम्बल इण्डस्ट्रीज एरिया आदि शहर की प्राइम लोकेशन में आ चुके हैं। इन क्षेत्रों में औद्योगिक भूखंडों की दर डीएलसी के मुकाबले कई गुणा अधिक है। इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र तो कोचिंग बाहुल्य क्षेत्र में आने से यहां जमीनों की कीमतें आसमान पर है।रीको के औद्योगिक क्षेत्रों में 2014 के बाद नई दरें तय नहीं हुई है। यह मुख्यालय स्तर पर तय होता है।

कोटा-बूंदी में रीको के 17 औद्योगिक क्षेत्र

कोटा और बूंदी जिले में रीको के 17 औद्योगिक क्षेत्र है और आधा दर्जन नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। रीको प्रबंधन की ओर से डीएलसी दरों में 2014 के बाद बदलाव नहीं किया गया है। जबकि इस अवधि में जमीनों की जमीनें गई गुणा बढ़ गई है।

ऐसे समझे गणित

इन्द्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में डीएलसी दर छह हजार वर्गमीटर है, जबकि बाजार भाव 30 से 40 हजार वर्ग मीटर है। सरकारी दर के हिसाब से एक हजार मीटर के भूखंड के विक्रय में 60 लाख रुपए कीमत होगी, जबकि बाजार भाव से इस आकार के भूखंड का भाव करीब 3 करोड़ रुपए है।

राजस्व का तीसरा बड़ा स्रोत

पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग राज्य का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण राजस्व अर्जित करने वाला विभाग है। डीएलसी बैठकें आयोजित नहीं होने से केवल राज्य के राजस्व पर नहीं प्रभाव पड़ता है, बल्कि जनसामान्य को भी भू-सम्पदाओं के क्रय एवं विक्रय में प्रतिफल के रूप में देय विधिसम्मत राशि के हस्तान्तरण में भी व्यवहारिक समस्याएं आती हैं।