Kota घर-घर, दर-दर आंगन-आंगन जलेंगे खुशियों के दीप, वीडियो में देखें दिवाली कब और शुभ महूर्त
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा दीपों के महापर्व पर घरों में देवी लक्ष्मी के अगवानी की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में भी खास उत्साह है। शहरवासी एक बार फिर से अच्छी दिवाली की उमीद कर रहे हैं। इन्हीं उमीदों की रोशनी में शहर जगमग होने वाला है। आधुनिक रंग-बिरंगी रोशनी व विद्युत सजावट के बीच दीपावली पर शिक्षा नगरी ढाई करोड माटी के दीयों की रोशनी से जगमग होगी। घर-घर, दर-दर, आंगन-आंगन खुशियों के दीप जलाए जाएंगे और दीयों के रूप में उजाला बांटकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी जाएंगी। शहर के कुंभकार व मिट्टी के बर्तन, दीपक इत्यादि बेचने वाले विक्रेताओं ने महापर्व की तैयारियां कर ली हैं। दादाबाड़ी, तलवंडी, प्रेमनगर समेत अन्य इलाकों में विक्रेताओं के अनुसार महापर्व की तैयारियां एक से डेढ़ माह पहले करनी पड़ती हैं। स्थानीय स्तर पर तैयारी के साथ बाहर से भी माल मंगवाना पड़ता है।
शगुन के तौर पर हर घर में होती है खरीदारी
विभिन्न क्षेत्रों में विक्रेताओं के अनुसार दीपावली पर अमूमन हर घर में दीपक जलाए जाते हैं। एक मोटे अनुमान के तौर पर 50 से 60 दीपक हर घर में जलते हैं। शहर की आबादी को देखते हुए ढाई से तीन करोड़ दीपक बिक जाते हैं। महावीर नगर तृतीय क्षेत्र में विक्रेता तुलसीराम प्रजापति, तलवंडी में रामलाल प्रजापति व दादाबाड़ी में संतोष बताती हैं कि दीपक के साथ मटकी, कलश-बिजोरे, हीड, धूपाड़ा, लक्ष्मी गणेश व अन्य मूर्तियों समेत कई आइटम बिकते हैं। विक्रेताओं के अनुसार करीब एक माह पहले से तैयारी करनी पड़ती है। करवा चौथ के बाद तो पूरी तरह से दीपावली की तैयारियों में लग जाते हैं।
मटकियां व कलशों की डिमांड ज्यादा
विक्रेताओं के अनुसार कोटा में कम से कम हर वर्ष दीपावली पर साढ़े 3 लाख से 4 लाख मटकियां व पूजन के लिए इतने ही कलशों की डिमांड रहती है। मान्यताओं के अनुसार हर घर में दीपावली पर नई मटकी रखी जाती है। देवी लक्ष्मी के पूजन में कलश भी जरूरी होता है, ऐसे में इतनी ही संया में कलश की मांग होती है।
हर डिजाइन में मिलेंगे
सादा से लेकर रंग-बिरंगे, मशीनों से बने हुए दीये बाजार में बिक रहे हैं। इनमें एकमुखी, अलग-अलग डिजाइन जैसे गोल, चौकोर आकृति, पंचमुखी के छोटे बड़े साइज व आकर्षक रंग व डिजाइन के दीये उपलब्ध हैं। साथ ही, स्वास्तिक में विभिन्न डिजाइन वाले रंग-बिरंगे दीये, गमले के आकार के दीये लोग पसंद कर रहे हैं। टेराकोटा के दीपक भी पंसद किये जा रहे हैं।
मिट्टी बनी समस्या
अखिल भारतीय प्रजापति कुहार, महासंघ नई दिल्ली के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नंदलाल प्रजापति बताते हैं कि दीपावली पर हर परिवार दीपक, मटकी इत्यादि खरीदता है। यह तो नहीं बता सकते कि कितना कारोबार हो जाता है, लेकिन दीपावली से समाज के लोगों को काफी उमीद रहती है। इस वर्ष लोगों में अच्छा उत्साह है। अच्छे कारोबार की उमीद है। गत वर्षों से मिट्टी की बड़ी समस्या है। क्षेत्र में मिट्टी नहीं है।