Aapka Rajasthan

Kota 47 करोड़ का फ्लाईओवर 17 महीने में ही मरम्मत की करने लगा मांग

 
Kota 47 करोड़ का फ्लाईओवर 17 महीने में ही मरम्मत की करने लगा मांग
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा सिटी मॉल के सामने 47 करोड़ रुपए से बनाए गए फ्लाईओवर की घटिया गुणवत्ता की पोल महज 17 माह में खुल कर सामने आ गई हैं। फ्लाईओवर के जंक्शन (जोड़) पर आरसीसी बैठ गई। नगर विकास न्यास ने आनन-फानन में फ्लाईओवर पर यातायात बंद कर मरम्मत शुरू करवाई है। नगर विकास न्यास की ओर से झालावाड़ रोड पर सिटी मॉल फ्लाईओवर का निर्माण करवाया गया था। 650 मीटर लंबे चार लाइन फ्लाईओवर के निर्माण पर 47 करोड़ रुपए खर्च किए गए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने 22 अक्टूबर 2022 को शहर में 21 निर्माण कार्यों के साथ इसका लोकार्पण किया था, लेकिन महज 17 माह में ही घटिया गुणवत्ता के चलते फ्लाईओवर के जंक्शन की आरसीसी बैठ गई। ऐसे में फ्लाईओवर पर सरिए नजर आने लगे। मामले में जानकारी लगते ही यूआईटी प्रशासन ने फ्लाईओवर पर यातायात रोक दिया और आरसीसी को तोड़कर इसकी मरम्मत शुरू कर दी है।

रंगपुर फ्लाईओवर से भी गिर चुकी आरसीसी : इससे पहले कोटा में रंगपुर रोड पर गुड़ला-सोगरिया बायपास रेलवे लाइन पर 32.15 करोड़ से बने करीब 850 मीटर लंबे और 24 स्पॉन वाले ओवरब्रिज की भी आरसीसी का हिस्सा गिर गया था। रंगपुर ओवरब्रिज का उद्घाटन मार्च 2020 में हुआ था। लोकार्पण के बाद महज तीन वर्ष बाद मई 2023 में स्पान की आरसीसी गिरने से इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए थे। इसके बावजूद स्पान बदलने के बजाय जून 2023 में इसकी मरम्मत कर काम चला दिया गया।

ओवरब्रिज के ज्वाइंट पर आरसीसी बैठी है। इससे खोदकर इसकी मरम्मत करवा रहे है। ओवरब्रिज गारंटी पीरियड में है। ऐसे में संवेदक की ओर से मरम्मत की जा रही है।नेशनल बिल्डिंग कोड के सेक्शनल कमेटी सदस्य और सिविल इंजीनियर रवि जैन ने बताया कि फ्लाईओवर के लिए पिल्लर बनाकर उस पर स्पान रखे जाते हैं। ऐसे में जोड़ पर आरसीसी बैठने से जोड़ पर मिलने वाले दोनों आरसीसी से बने स्पान की गुणवत्ता खराब है। फ्लाईओवर्स समेत किसी भी आरसीसी स्ट्रक्चर में आरसीसी बैठने, आरसीसी का हिस्सा गिरना का मतलब है कि आरसीसी करते समय अच्छी सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया या सीमेंट आवश्यकता से कम उपयोग की गई। इसके अलावा सीमेंट की गुणवत्ता खराब होना, सीमेंट स्ट्रक्चर को तैयार करने के बाद इसकी पानी से तर कर ढंग से नहीं पकाना और गिट्टी या रेत की गुणवत्ता खराब होना या रेत के स्थान क्रेशर डस्ट का उपयोग करना भी हो सकता है। असल वजह लैब टेस्टिंग से सामने आएगी। पिल्लर का सपोर्ट होने के बावजूद ठीक ऊपर आरसीसी का बैठना चिंतनीय है।