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Kota एक लाख में से 10-15 लोगों को ब्रेन ट्यूमर, हर ट्यूमर कैंसर नहीं

 
Kota एक लाख में से 10-15 लोगों को ब्रेन ट्यूमर, हर ट्यूमर कैंसर नहीं

कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा प्रतिवर्ष 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य आमजन को ब्रेन ट्यूमर से बचाव के उपाय और इससे होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी देना है। ब्रेन ट्यूमर भारत में होने वाली मौतों का दसवां बड़ा कारण है। सिर की हड्डी एवं दिमाग में किसी भी तरह की होने वाली गांठ को ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन ट्यूमर खतरनाक बीमारी है। यह सिर्फ मस्तिष्क को ही प्रभावित नहीं करती, बल्कि इसका असर पूरे शरीर पर होता है, क्योंकि मस्तिष्क ही पूरे शरीर को संचालित करता है। बुजुर्गों में ट्यूमर कैंसर बन सकता है। न्यूरोसर्जरी विशेषज्ञ बताते हैं कि 20 से 40 साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूमर होने की आशंका रहती है। कैंसर रहित ट्यूमर, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है। एक लाख में 10-15 लोगों को ब्रेन ट्यूमर होता है।

ट्यूमर को आमतौर पर कैंसर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता। सही समय पर इसका इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। हमारा ब्रेन सेल्स से बना होता है। जब भी किसी कारण से ब्रेन की कोशिका का नियंत्रण बिगड़ने लगता है तो यह कोशिका खत्म होने लगते हैं। इसके बाद ब्रेन के काम में रुकावट पैदा होने लगती है। वहीं, जब ब्रेन में अनियंत्रित कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं तो कैंसर का रूप धारण कर लेती हैं।

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

डॉ. गौतम का कहना है कि प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उससे आसपास के ऊतकों में ही शुरू होता है, लेकिन मेटास्टेटिस ब्रेन ट्यूमर शरीर के किसी अन्य हिस्से से शुरू होता है और मस्तिष्क तक खून के माध्यम से फैल जाता है। सामान्य लक्षणों में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर से पड़ने वाले दबाव के कारण पैदा होता है। वहीं, विशिष्ट लक्षण तब होते हैं, जब मस्तिष्क का एक निश्चित हिस्सा ट्यूमर के कारण सही तरीके से काम नहीं कर पाता है।

ब्रेन ट्यूमर का इलाज

ब्रेन ट्यूमर का सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है। इसमें जरा सी भी लापरवाही से भरी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ट्यूमर के आकार, स्थिति के आधार पर इलाज किया जाता है। माइक्रो एंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जरी के जरिए सर्जरी को आसान और बेहतर बना दिया है। इसकी खास बात यह है कि इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। कीमोथैरेपी में ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए दवाइयों के उपयोग से ट्यूमर की कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।