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Kota Lok Sabha क्षेत्र में 17 बार हुए चुनाव में 7 बार BJP, 4 बार कांग्रेस और 3 बार जनसंघ के उम्मीदवार सांसद बने

 
Kota Lok Sabha क्षेत्र में 17 बार हुए चुनाव में 7 बार BJP, 4 बार कांग्रेस और 3 बार जनसंघ के उम्मीदवार सांसद बने

कोटा न्यूज़ डेस्क, राजस्थान की कोटा-बूंदी लोकसभा सीट  पर भारजीय जनता पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला  को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने बीजेपी के बागी नेता प्रहलाद गुंजल को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया है. कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर हुए कुल 17 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 4 बार ही जीत दर्ज कर पाई है, जबकि 7 बार बीजेपी और 3 बार भारतीय जनसंघ का कब्जा रहा है. इनके अलावा एक बार जनता पार्टी, एक बार भारतीय लोकदल और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी इस सीट को जीता है. 

कोटा लोकसभा सीट का इतिहास

1952 में हुए पहले आम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से नेमीचंद कासलीवाल ने जीत का परचम लहराया, तो 1957 में कांग्रेस से ओंकारलाल ने बाजी मारी. 1962, 1967 और 1971 में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा रहा. 1977 की जनता लहर में इस सीट पर जनसंघ पृष्ठभूमि के उम्मीदवार कृष्णकुमार गोयल जीते. 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर गोयल इस सीट से फिर जीत गए. 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के शांति धारीवाल जीते तो 1989 में बीजेपी के दाऊदयाल जोशी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. इसके बाद दाऊदयाल जोशी 1996 तक लगातार तीन बार यहां के सांसद बने. वहीं 1998 में कांग्रेस से रामनारायण मीणा ने यह सीट बीजेपी से हथिया ली. 1999 के चुनाव में में बीजेपी के रघुवीर सिंह कौशल ने रामनारायण मीणा को हराकर सीट पर कब्जा कर लिया और 2004 में कौशल ने दोबारा जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव 2009 में कोटा राजघराने के इज्यराजसिंह ने कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के श्याम शर्मा को हराकर कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई. 2014 में बीजेपी के ओम बिरला ने इज्यराज सिंह को हराकर एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी को काबिज कर दिया. 2019 में हुए चुनाव में ओम बिरला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 2 लाख 79 हज़ार 677 वोटो से हराकर सीट को बीजेपी की झोली में डाला. 

कोटा में कुल 20.62 लाख मतदाता

कोटा-बूंदी संसदीय सीट में 8 विधानसभा सीटों में कोटा जिले की कोटा उत्तर, कोटा दक्षिण, लाडपुरा, सांगोद, पीपल्दा, रामगंजमंडी विधानसभा और बूंदी जिले की केशोरायपाटन और बूंदी विधानसभा सीट शामिल हैं. विधानसभा चुनाव में इन 8 सीट पर कांग्रेस और 4 सीट पर बीजेपी के विधायक काबिज हैं. कोटा बूंदी लोकसभा की आठ सीटों में कुल 20 लाख 62 हज़ार 730 मतदाता हैं जिसमें से 10 लाख 61 हजार 228 पुरुष और 10 लाख 1 हजार 502 महिला मतदाता हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि ओम बिरला जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं या फिर कांग्रेस यहां बाजी मारने में कामयाब हो पाती है.

कोटा सीट का जातीय समीकरण

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां 2 लाख गुर्जर, 2 से 2.5 लाख मीणा समाज, 2.5 लाख मुस्लिम, सवा लाख ब्रह्ममन, 1 से सवा लाख वैश्य, इतने ही राजपूत वोट, सवा लाख माली, साढ़े तीन लाख SC, एक लाख ओबीसी वोटर्स हैं. कांग्रेस जहां गुर्जर जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतरकर गुर्जर मुस्लिम मीणा के साथ बड़ी संख्या में मौजूद एससी वोटर पर दाव खेल रही है. वहीं कोटा में हवाई सेवा के मुद्दे के साथ 10 साल की सांसद की एंटी इनकम्बेंसी के साथ जनता के बीच पहुंच रही है. जबकि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ केंद्र सरकार की योजनाएं और भाजपा प्रत्याशी लोकसभा स्पीकर की लोकप्रियता और उनके सामाजिक कार्यों को जन जन तक पहुंचने में जुटी हुई है.