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"संविधान भारत की तकदीर बदलने वाला ग्रंथ" युवा संसद में गूंजे Kota के छात्र-छात्राओं के विचार

 
"संविधान भारत की तकदीर बदलने वाला ग्रंथ" युवा संसद में गूंजे Kota के छात्र-छात्राओं के विचार

कोटा न्यूज़ डेस्क - विधानसभा में आज राज्य स्तरीय विकसित भारत युवा संसद चल ​​रही है। देश के विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर चर्चा के लिए खेल मंत्रालय देशभर में इसका आयोजन कर रहा है। इस युवा संसद में कोटा से पांच छात्राएं चित्रांशा कंवर, जाह्नवी सेन, आर्ची विजय, कृतिका माथुर और अंजलि जावा शामिल हैं। बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा अंजलि जावा ने युवा संसद में अपने विचार रखे। अंजलि ने अपने भाषण की शुरुआत इन पंक्तियों से की।

'लक्ष्य को ध्यान में रखकर,
मंजिल को सामने रखकर,
हम हर जंजीर तोड़ रहे हैं,
हम हर तस्वीर बदल रहे हैं,
ये नया युग है, नया भारत है,
ये अपनी किस्मत खुद लिखेगा'

विकसित भारत बनाने की बात कही
अंजलि ने कहा कि भारतीय संविधान ने ऐसे मौलिक अधिकार दिए हैं जो हर नागरिक की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। ये अधिकार हर नागरिक का सुरक्षा कवच हैं। संविधान की 75 साल की यात्रा में संविधान को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

इसमें 106 संशोधन हुए, प्रत्येक संशोधन के अनुसार 1976 का 42वां संशोधन जिसे लघु संविधान कहा जाता है। इसमें संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्षता, अखंडता जैसे शब्द जोड़े गए। 42वें संशोधन के दौरान अनुच्छेद 51ए में 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए। ये हर व्यक्ति को याद दिलाते हैं कि अधिकार और दायित्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अगर हमें अपने अधिकारों का प्रयोग करना है तो हमें अपने कर्तव्यों का पालन भी करना होगा। 11 संकल्पों में चाहे नागरिक हो या सरकार, सभी को अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। पर्यावरण की रक्षा और महिलाओं की सुरक्षा तथा सबका साथ सबका विकास जैसे लक्ष्यों पर चलकर हम 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बना पाएंगे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान युवा पीढ़ी को देना होगा क्योंकि युवा ही इस देश के कर्णधार हैं। युवा ही देश की दशा और दिशा दोनों बदल सकते हैं। हम 2047 तक भारत को विकसित भारत बना सकते हैं।

संविधान सिर्फ एक किताब नहीं, भाग्य बदलने वाली किताब है
युवा संसद में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा चित्रांश कंवर ने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि भारत का भाग्य बदलने वाली किताब है। हमारे संविधान ने देश की प्रगति में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।हमारे देश में अधिकारों और नीतियों की बात महाभारत काल से चली आ रही है। लेकिन अब बात करते हैं कर्तव्य की। प्रधानमंत्री मोदी ने 11 संकल्प दिए जो हमारे भारत के संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में कारगर हैं। जिसमें पहला संकल्प कर्तव्य पालन है। जब हम अपना कर्तव्य निभाएं, तो मां पन्ना धाय की तरह। सबका साथ सबका विकास का इतिहास सम्राट अशोक के समय से चला आ रहा है। इसे आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।

राजनीति को भाई-भतीजावाद से ऊपर उठाएं
चित्रांशा कंवर ने कहा- हर नागरिक को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए। राजा हरिश्चंद्र की तरह कानून, नियम और परंपराओं का पालन करना चाहिए। अगर हम स्वामी दयानंद सरस्वती की तरह वेदों का अध्ययन करें और गुलामी की मानसिकता को जड़ से उखाड़ फेंकें, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी मातृभूमि भी हम पर गर्व करेगी। देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद से ऊपर उठाएं, ताकि हमारे देश को कर्तव्यनिष्ठ राजनेता मिलें। अगर संविधान के सम्मान के प्रति जागरूकता है, तो केशवानंद भारतीय की तरह। डॉ. बीआर अंबेडकर के निर्देशानुसार, जब तक एक भी व्यक्ति मूलभूत सुविधाओं से वंचित न हो, तब तक उसका आरक्षण नहीं छीना जाना चाहिए। लेकिन आरक्षण जाति या धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए।

केवल पुरुषों का एकाधिकार नहीं
राजनीति केवल पुरुषों का एकाधिकार नहीं है। मीराबाई जैसी आध्यात्मिकता, अहिल्याबाई जैसी साहसी और इंदिरा गांधी जैसी नेता आज भी दिखाई दे सकती हैं, बस देरी है तो महिलाओं को विकास में प्राथमिकता देने की। शरीर तभी स्वस्थ माना जाता है जब उसका हर अंग स्वस्थ हो।भारत का हर राज्य विकसित होगा तो राष्ट्र अपने आप विकसित हो जाएगा। देश को 1947 में आजादी मिल गई लेकिन अंग्रेजों द्वारा दी गई सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और अशिक्षा और गरीबी जैसी समस्याओं से 2047 तक फिर से मुक्त होना होगा। तभी हमारा भारत एक भारत, महान भारत, विकसित भारत बनेगा।