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Kota कचरे से बनेगी सीएनजी और बिजली, जिले में लगेगा बायो गैस प्लांट

 
Kota कचरे से बनेगी सीएनजी और बिजली, जिले में लगेगा बायो गैस प्लांट

कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा में कचरे से सीएनजी गैस और बिजली बनाने का काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए बायो गैस प्लांट लगाया जाएगा। यह प्लांट स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगाया जाएगा। इसमें तीन तरह के प्लांट लगाए जाएंगे। नगर निगम के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने स्वीकार करते हुए अंतिम मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेज दिया है। कचरे से बिजली बनाने के लिए बायो गैस प्लांट की लागत 90 करोड़ रुपए आएगी। प्लांट के संचालन के लिए 10 करोड़ से सोलर प्लांट और लीगेसी वेस्ट को अलग करने समेत अन्य कार्यों पर 68 करोड़ रुपए से खर्च किए जाएंगे। कुल बजट 168 करोड़ रुपए मिलेगा। कोटा में चारों तरह के प्लांट लगाने की योजना है। केंद्र की स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

चार प्लांट लगाने की योजना

नगर निगम की कोटा में लीगेसी वेस्ट समेत चारों तरह के प्लांट (बायो गैस, एमआरएफ, आरडीएफ, सीएंडडी) लगाने की योजना है। नांता ट्रेंचिंग ग्राउंड में करीब 13 लाख टन लीगेसी वेस्ट है, जो डेढ़ साल में बढ़कर 18 लाख टन हो जाएगा। बायो गैस के लिए कचरे, गोबर, सड़ी व खराब सब्जियों के कचरे का भी उपयोग किया जाएगा। निस्तारण के लिए पीपीपी मोड पर बायो गैस प्लांट संचालन की योजना है। संवेदक बायो गैस बनाएगा और निगम काम लेंगी व शेष गैस को बेचेंगी। इधर, निगम ने नांता ट्रेंचिंग ग्राउंड से कचरे को हटाकर बायो गैस, सोलर प्लांट व सीएनजी प्लांट के लिए चिह्नित करीब 7.20 लाख वर्ग फीट जगह से कचरा हटाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसमें से अधिकांश कचरा हटाने का काम पूरा भी किया जा चुका है।

चार शहरों को मिलेगा बजट

राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी मिशन फेज टू के तहत प्रदेश के चार शहरों में इन्टीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट समेत विकास के लिए कोटा को 168 करोड़, जयपुर के लिए 154 करोड़, उदयपुर के लिए 134 करोड़ और अजमेर के लिए 98 करोड़ रुपए समेत 554 करोड़ रुपए की राशि कर केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था। केन्द्र से जयपुर, उदयपुर और अजमेर के लिए हरी झंडी मिल गई है, वहीं कोटा की पत्रावली मंजूरी की प्रक्रियाधीन है। एईएन तनुज शर्मा ने बताया कि 400 टन प्रतिदिन क्षमता के बायो गैस प्लांट चलाने के लिए बिजली के लिए 10 करोड़ से सोलर प्लांट और सीएनजी प्लांट लगाया जाएगा। प्लांट चलाने का बिजली खर्च खत्म हो जाएगा। निर्मित सीएनजी निगम के टिपर समेत अन्य वाहनों को चलाने में पेट्रो पदार्थों के स्थान पर काम ली जाएगी। इससे 10 करोड़ रुपए तक वार्षिक बचत होगी। बजट मिलने पर प्रोजेक्ट डेढ़ वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा।