राजस्थान में फेल हो रही मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना! मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाएं, जानिए क्या है वजह ?

राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। ये दवाइयां मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत दी जाती हैं। जिसमें सैकड़ों तरह की दवाइयां मरीजों को उपलब्ध कराई जाती हैं। लेकिन इन दिनों मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की धज्जियां उड़ रही हैं। क्योंकि योजना के तहत मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। जिसके बाद मरीजों को अस्पताल के बाहर से जेनेरिक दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।कई जिलों में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का बुरा हाल है। ताजा मामला प्रदेश के बड़े जिले कोटा से आया है. जहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं।
250 से ज्यादा जरूरी दवाइयां नहीं मिल रही हैं
कोटा में निशुल्क दवा योजना के तहत मरीजों को अस्पताल के काउंटर पर जरूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। दरअसल, राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) से कोटा मेडिकल कॉलेज ड्रग वेयरहाउस में 1585 तरह की दवाइयां आती हैं, लेकिन फिलहाल सभी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं. बताया जा रहा है कि काउंटर पर 250 से ज्यादा जरूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं. खासकर ब्लड प्रेशर, कैल्शियम, ब्लड थिनर, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल सहित अन्य जरूरी दवाइयों की आपूर्ति महीनों से नहीं हो रही है।दवा काउंटर पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि दवा खत्म होते ही डिमांड भेज दी जाती है। लेकिन फिलहाल कुछ दवाएं नहीं आ रही हैं। कोटा संभाग के सबसे बड़े महाराव भीमसिंह अस्पताल के दवा काउंटर पर पहुंचने वाले मरीज और तीमारदार दवाइयां नहीं मिलने पर परेशान हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति बाधित होना बताया जा रहा है।
क्या है मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना
राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2011 को अशोक गहलोत की सरकार में हुई थी। इस योजना को सफल बनाने के लिए इसके सफल क्रियान्वयन के लिए राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) को पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया गया था। इस योजना में निशुल्क जांच भी शामिल है, जिसे 7 अप्रैल 2013 को जोड़ा गया था।