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राजस्थान में एक और कांग्रेस नेता की बढ़ी मुश्किलें, बोले प्रहलाद गुंजल- मेरे ही पत्थर का मुझ पर चोरी का लगा रहे इल्जाम, वायरल वीडियो में देखें पूरा बयान

कोटा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल पर मामला दर्ज हुआ है। तहसीलदार हेमराज मीना ने यूआईटी की जमीन पर अवैध कब्जा करने, माइनिंग कर पत्थर और मिट्टी निकालने की शिकायत दी गई.....

 
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राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! कोटा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल पर मामला दर्ज हुआ है। तहसीलदार हेमराज मीना ने यूआईटी की जमीन पर अवैध कब्जा करने, माइनिंग कर पत्थर और मिट्टी निकालने की शिकायत दी गई। गुंजल ने कहा कि यह सब बीजेपी बौखलाहट में करवा रही है। ओम बिरला के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है। गुंजल ने दावा किया कि स्टोन क्रेशर उनका है और जो खनिज का स्टॉक रखा गया है, वह वैध रवन्नाओं से किया गया है।

यूआईटी तहसीलदार ने बताया कि सोमवार रात 10.30 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर क्रशर का काम चल रहा है. सूचना पर वन विभाग की लाडपुरा रेंज की टीम राणपुर थाने की पुलिस के साथ बावड़ी खेड़ा पहुंची. राणपुर थाना अधिकारी भवंर सिंह के अनुसार मौके पर लाइट जल रही थी और एलएनटी मशीन के जरिए डंपर में पत्थर भरे जा रहे थे. सरकारी गाड़ियों को देखकर अवैध खननकर्ता डंपर छोड़कर भाग गए।

955 टन चिनाई पत्थर गिट्टी पाई गई

मामले की जानकारी पर गुंजल भी पहुंचे। कार्रवाई को लेकर गुंजल ने कहा कि जमीन वन विभाग की नहीं बल्कि यूआईटी की है. इस पर टीम वापस चली गई। मंगलवार सुबह यूआईटी और खनन विभाग के साथ वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. यूआईटी ने जमीन को अपने खाते की बताई। खनिज विभाग की टीम के निरीक्षण के दौरान 955 टन चिनाई पत्थर यानी गिट्टी पाई गई। साथ ही बाल बालाजी नामक स्टोन क्रेशर भी संचालित पाया गया।

अवैध रूप से स्टॉक का कारोबार किया जा रहा था

यूआईटी तहसीलदार ने बताया कि क्षेत्र में स्टॉक रखने के लिए विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। ऐसे में यहां रखा गिट्टी का स्टॉक अवैध था. गिट्टी स्टॉक, एलएनटी मशीनें और डंपर जब्त कर लिए गए हैं। लेकिन गुंजल ने कहा कि बीजेपी बौखलाहट में ये सब कर रही है. प्रशासन ओम बिरला के इशारे पर काम कर रहा है. बिड़ला ने हार मान ली है और इस तरह से प्रशासन का दुरुपयोग कर रहे हैं. गुंजल ने बताया कि जिस जमीन पर क्रशर अवैध बताया जा रहा है, वह जमीन वर्ष 2010 में क्रशर के लिए परिवर्तित हो चुकी है और यह जमीन राजाराम भील की है. 16 मई 2011 को राजाराम भील ने जमीन गुंजल को बेच दी, जिसकी रजिस्ट्री 31 अक्टूबर 2011 को हुई। यहां 2016 से क्रशर का संचालन किया जा रहा है। गुंजल ने दावा किया कि क्रशर उचित कागजात और अनुमति के साथ संचालित किया जा रहा था। लेकिन ये कार्रवाई सिर्फ परेशान करने के लिए की गई है.

उन्होंने कहा कि हमारे पास 2016 से 2028 तक की पर्यावरण मंजूरी है. इसके बाद हमें कोई और अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. गुंजल ने कहा कि क्रशर की माप नियमानुसार करें, यदि एक इंच भी अतिक्रमण हुआ तो उजागर हो जाएगा। लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए की जा रही है. अधिकारियों पर बनाया जा रहा है दबाव उन्होंने कहा कि 4 जुलाई के बाद आर-पार की लड़ाई होगी. किसने कहां अतिक्रमण किया है, वह सब सामने आ जाएगा।